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Bhopal News: आरजीपीवी घोटाला मामले में पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार गिरफ्तार, निजी खाते में जमा हुए थे 19.48 करोड़ रुपये

पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार भोपाल के गांधी नगर थाने में तीन मार्च को केस दर्ज होने के बाद से फरार चल रहे थे। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था। इस मामले को सुलझाने के लिए SIT का गठन किया गया था। एफआइआर दर्ज होने के 38 दिन बाद कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता को रायपुर से गिरफ्तार कर लिया गया है।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Fri, 12 Apr 2024 12:40 PM (IST)
Bhopal News: आरजीपीवी घोटाला मामले में पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार गिरफ्तार, निजी खाते में जमा हुए थे 19.48 करोड़ रुपये
RGPV के पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता हुए गिरफ्तार (फोटो- नई दुनिया)

डिजिटल डेस्क, भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) में 19.48 करोड़ रुपये का घोटाला मामले में एफआइआर दर्ज होने के 38 दिन बाद पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है। करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोपित प्रो. सुनील कुमार को पुलिस ने रायपुर से गिरफ्तार कर लिया गया है।

पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार भोपाल के गांधी नगर थाने में तीन मार्च को केस दर्ज होने के बाद से फरार चल रहे थे। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था। इस मामले को सुलझाने के लिए विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) का गठन किया गया था।

पूर्व कुलपति पर थी SIT की नजर

एसआइटी प्रमुख एवं एसीपी, बैरागढ़ अनिल शुक्ला ने बताया कि प्रोफेसर सुनील कुमार की लोकेशन पर लगातार नजर रखी जा रही है। उनकी लोकेशन रायपुर पता चलने पर बुधवार को रायपुर पहुंची पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। वह अपने एक रिश्तेदार के घर पर छिपे हुए थे।

अग्रिम जमानत याचिका हो चुकी थी खारिज

प्रो. सुनील कुमार ने एक अप्रैल को भोपाल कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी। तो वहीं, दो अप्रैल को सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। तीन अप्रैल को पूर्व कुलपति की ओर से प्रस्तुत की गई दलीलें खारिज करते हुए उनकी अग्रिम जमानत के आवेदन को रद कर दिया गया था। 

साल 2017 में प्रो.गुप्ता की हुई थी नियुक्ति

बता दें, कि प्रो.गुप्ता 2017 में विवि में कुलपति नियुक्त हुए थे। तब से फिर दुबारा इनकी नियुक्ति हुई थी। करीब साढ़े छह साल का उनका कार्यकाल काफी विवादित रहा। शिक्षण व्यवस्था ठप रही और अनुशासन भी फेल रहा। विवि में आए दिन रैगिंग की घटनाएं सामने आई। साल भर में करीब 50 से अधिक रैगिंग की घटनाएं सामने आई।

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