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15 साल की लंबी लड़ाई के बाद उपभोक्‍ता को मिला न्‍याय, बीमा कंपनी देगी 8 लाख हर्जाना

भोपाल में एक उपभोक्‍ता के टिम्‍बर डिपो में आग लग गई थी जिसका क्‍लेम देने से बीमा कंपनी ने साफ मना कर दिया। 15 साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार उपभोक्‍ता को बीमा कंपनी ने 8 लाख रुपये हर्जाना दिया है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 21 Feb 2022 10:04 AM (IST)Updated: Mon, 21 Feb 2022 10:04 AM (IST)
15 साल की लंबी लड़ाई के बाद उपभोक्‍ता को मिला न्‍याय, बीमा कंपनी देगी 8 लाख हर्जाना
15 साल की लंबी लड़ाई के बाद उपभोक्‍ता को बीमा कंपनी ने 8 लाख हर्जाना दिया

भोपाल, जेएनएन। एक उपभोक्ता ने बीमा कंपनी से क्लेम के लिए 15 साल लंबी लड़ाई लड़ी, तभी उसे न्याय मिला। उपभोक्ता के टिम्बर डिपो में आग लग गई थी। डिपो का बीमा कराया गया था, लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम देने से साफ मना कर दिया। उपभोक्ता ने सबसे पहले जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका दायर की। वहीं से फैसला उपभोक्ता के पक्ष में लिया गया। इसके बाद बीमा कंपनी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की। वहां से भी फैसला उपभोक्ता के पक्ष में लिया गया।

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जानें क्‍या है मामला

मध्‍य प्रदेश के बैतूल में रहने वाली पुष्पा मिश्रा ने 2007 में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत की थी। 15 मई 2007 को उपभोक्ता के टिम्बर मार्ट डिपो में आग लग गई थी। जब आग क्षति का दावा प्रस्तुत किया गया था बीमा कंपनी, कंपनी ने दावा राशि का भुगतान नहीं किया। याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला आयोग ने फैसला सुनाया था कि उपभोक्ता को एक लाख रुपये की बीमा राशि दी जानी चाहिए। इसके बाद 2010 में बीमा कंपनी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की।

निर्णय आयोग की सदस्य मोनिका मलिक और एसएस बंसल ने फैसला सुनाते हुए जिला आयोग के फैसले को सही ठहराया। बीमा कंपनी का तर्क था कि उपभोक्ता ने आग में जलने से हुए नुकसान के सर्वे के दस्तावेज जमा नहीं किए, जिसके चलते बीमा राशि नहीं दी गई। वहीं, उपभोक्ता का तर्क था कि आग से बीमा कंपनी द्वारा किया गया नुकसान करीब 8 लाख रुपये बताया गया है। सर्वे की रिपोर्ट भी पेश की गई। इसके बावजूद बीमा कंपनी ने क्लेम देने से मना कर दिया। आयोग ने बीमा कंपनी के तर्क को खारिज किया और

8 लाख रुपये की दावा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।


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