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Madhya Pradesh Farmers News: मध्य प्रदेश के किसान गो-समाधि से बना रहे जैविक खाद, बढ़ा रहे समृद्धि,

Madhya Pradesh Farmers News बालाघाट जिले के बगड़मारा में करीब तीन साल पहले गो-समाधि की पहल शुरू हुई है। इसके अच्छे परिणाम देखकर अब महाराष्ट्र के गोंदिया-भंडारा व तुमसर में भी किसान गो-समाधि से जैविक खाद बना रहे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 05:17 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 05:17 PM (IST)
Madhya Pradesh Farmers News: मध्य प्रदेश के किसान गो-समाधि से बना रहे जैविक खाद, बढ़ा रहे समृद्धि,
मध्य प्रदेश के किसान गोसमाधि से तैयार कर रहे जैविक खाद। फाइल फोटो

बालाघाट, जेएनएन। मध्य प्रदेश के किसान गो-समाधि से जैविक खाद बना कर समृद्धि बढ़ा रहे हैं। यहां गायें जीते जी और मरने के बाद भी किसानों की पालनहार की भूमिका निभा रही हैं। यहां पर गो-समाधि की शुरुआत इसलिए हुई, ताकि गाय का तिरस्कार ना हो। गो-समाधि से किसान जैविक खाद तैयार कर रासायनिक खाद का त्याग कर रहे हैं। करीब तीन साल पहले प्रदेश के बालाघाट जिले के बगड़मारा में गो-समाधि की पहल शुरू हुई है। इसके अच्छे परिणाम देखकर अब महाराष्ट्र के गोंदिया-भंडारा व तुमसर में भी किसान गो-समाधि बनाकर जैविक खाद बना रहे हैं। मध्य प्रदेश के सिवनी के सोनझरा, सुनवारा, छिरिया, केवलारी व पौनी में भी किसानों ने गो-समाधि बनाई है।  

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जानिए, कैसे तैयार की जाती है गो-समाधि

गो-समाधि के लिए करीब चार फीट चौड़ा, छह फीट लंबा, चार फीट गहरा गड्ढा खोदा जाता है। इसके बाद इस गड्ढ़े में गोबर को बिछाया जाता है। इसके बाद करीब पचास किलो चूना और पचास किलो नमक भी इसमें डाला जाता है। इस तरह से गो-समाधि बन जाती है। करीब एक साल बाद इसे निकाल लिया जाता है। इससे तैयार जैविक खाद करीब तीन एकड़ खेत में इस्तेमाल कर उपजाऊ बनाया जा सकता है। किसानों ने बताया कि कई गायों की समाधि बनाई गई है। अब यह कार्य पड़ोसी राज्यों में भी किया जाने लगा है। गो-समाधि से जैविक खाद तैयार कर किसान उसका अपने खेत में इस्तेमाल कर सकते हैं। किसान इस जैविक खाद को अपनी जरूरत के मुताबिक, बेच भी सकते हैं। धीरे-धीरे मध्य प्रदेश के साथ महाराष्ट्र के भी कई गांवों में गो-समाधि का प्रचलन शुरू हो गया है। इसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। किसान रासायनिक खाद का त्याग कर जैविक खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे खेतों में उर्वरा शक्ति बढ़ रही है और खेतों में फसल की उपज भी अच्छी हो रही है। आने वाले समय में इसका व्यापक उपयोग हो सकता है। 


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