नीच राजनीति के बयान पर घमासान जारी
नई दिल्ली, जाब्यू। प्रियंका गांधी के बयान से शुरू हुआ 'नीच राजनीति' पर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। 'नीच' को जाति से न जोड़कर काम से जोड़कर देखने की राहुल गांधी की दलील के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने पलटवार किया है। मोदी के खिलाफ कांग्रेसी नेताओं की शब्दावली का उल्लेख करते हुए जेटली ने सवाल उठाया, 'क्या नोट
नई दिल्ली, जाब्यू। प्रियंका गांधी के बयान से शुरू हुआ 'नीच राजनीति' पर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। 'नीच' को जाति से न जोड़कर काम से जोड़कर देखने की राहुल गांधी की दलील के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने पलटवार किया है। मोदी के खिलाफ कांग्रेसी नेताओं की शब्दावली का उल्लेख करते हुए जेटली ने सवाल उठाया, 'क्या नोट के बदले वोट और आदर्श सोसाइटी घोटाला शुद्ध राजनीति के प्रतीक हैं।'
बुधवार की चुनाव डायरी में अरुण जेटली ने मोदी के खिलाफ प्रयोग की जाने वाली शब्दावली का हवाला देते हुए लिखा कि कांग्रेसी नेता उनके लिए चायवाला, खूनी, हिटलर, गंगू तेली, बंदर और नपुंसक जैसे विशेषणों का खुलकर प्रयोग करते रहे। यही कारण है कि उन्हें नीच राजनीति कहने में भी कोई गलती नजर नहीं आती है। जेटली ने हैरानी जताई कि 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले को राजनीति की किस श्रेणी में रखा जाएगा। कांग्रेस के साथ-साथ जेटली ने पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में बूथ कैप्चरिंग रोकने के पुख्ता इंतजाम नहीं करने पर चुनाव आयोग को आड़े हाथ लिया।
जेटली के अनुसार चुनाव आयोग नेताओं के बेतुके बयान पर ज्यादा ध्यान दे रहा है और इस चक्कर में वह स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव के मूल उद्देश्य पर ध्यान नहीं दे पा रहा है। जेटली के अनुसार मतदान केंद्रों पर केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती होनी चाहिए, लेकिन राज्य सरकारें स्थानीय पुलिस को तैनात कर रही हैं और उनकी मदद से चुपचाप बूथ पर कब्जा कर रहे हैं। चुनाव आयोग को इसे रोकने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।