संघ को बागियों को संभालने की कमान
पूवरंचल में भारतीय जनता पार्टी को सबसे अधिक खतरा अपनों से है। टिकट वितरण को लेकर मचे घमासान से पार्टी हाईकमान सकते में है। टिकट न मिलने से आहत पार्टी के कई बड़े नेता बागी हो गए हैं। ये चुनाव में अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ ताल भी ठोंक सकते हैं। इनको संभालने की कमान अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सौंप दी गइ
वाराणसी। पूर्वाचल में भारतीय जनता पार्टी को सबसे अधिक खतरा अपनों से है। टिकट वितरण को लेकर मचे घमासान से पार्टी हाईकमान सकते में है। टिकट न मिलने से आहत पार्टी के कई बड़े नेता बागी हो गए हैं। ये चुनाव में अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ ताल भी ठोंक सकते हैं। इनको संभालने की कमान अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सौंप दी गई है।
बागियों को संभालेगा संघ
शनिवार को काशी में हुई बैठक में भाग लेने आए संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि भाजपा नेतृत्व की पहल पर संघ ने बागियों को संभालने का जिम्मा लिया है। संघ ने वोट डलवाने के साथ भितराघात खत्म करने का दायित्व भी लिया है। भाजपा में टिकट वितरण से कहीं दावेदार नाराज हैं तो कहीं कार्यकर्ता। चूंकि बागियों में अधिकांश आरएसएस से ही जुड़े हैं इसलिए संघ को विश्वास है कि वह उन्हें मना लेगा। संघ ने बागियों को समझाने के साथ उन्हें चुनावी कमान सौंपने की भी रणनीति बनाई है।
कहां किसका विरोध
भदोही में भाजपा प्रत्याशी वीरेन्द्र सिंह मस्त के विरोध में उठे स्वर थम नहीं रहे हैं। यहां ब्राहम्ण मतदाताओं की भारी जमात है जो मस्त को प्रत्याशी बनाए जाने के खिलाफ है। देवरिया में कलराज मिश्र को प्रत्याशी बनाना जहां सूर्यप्रताप शाही व श्रीप्रकाशमणि समर्थकों को नागवार लग रहा वहीं चंदौली में डा.महेन्द्रनाथ पाण्डेय को प्रत्याशी बनाकर पार्टी ने पूर्व सांसद आनंदरत्न मौर्य समर्थकों की नाराजगी मोल ली है। सोनभद्र में छोटेलाल खरवार का विरोध है। घोसी सीट पर तो हरिनारायण राजभर को बदलने की सिफारिश स्थानीय पदाधिकारियों के अलावा संघ भी कर चुका है। जौनपुर सीट पर केपी सिंह को टिकट मिलने से पूर्वमंत्री स्वामी चिन्मयानंद आहत हैं। बलिया से लगे सलेमपुर संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी रवींद्र कुशवाहा की बजाए पंकज शेखर या रामइकबाल सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग पर जिच कायम है। मीरजापुर सीट पर भाजपा-अपनादल गठबंधन के तहत अनुप्रिया पटेल को टिकट मिलने से पूर्वमंत्री ओमप्रकाश सिंह नाराज हैं जो पुत्र अनुराग के लिए टिकट मांग रहे थे। पूरब में टिकट वितरण को लेकर कार्यकर्ताओं के विरोध के स्वर बुलंद हैं। ऐसे में भाजपा नेतृत्व को डर है कि मोदी लहर के बावजूद काशी क्षेत्र में कहीं मिशन यूपी कमजोर न पड़ जाए। काशी क्षेत्र की 14 सीटों में वाराणसी ही भाजपा के पास है।