दुनिया के इस क्रूर तानाशाह ने आखिर क्यों मनाया था क्रिसमस, 1940 का वीडियो वायरल
यह 1940 का वीडियो है। इसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक प्रचार वीडियो के रूप में बनाया गया था। फुटेज में एडॉल्फ हिटलर को क्रिसमस मनाते हुए दिखाया गया है।
लंदन [ एजेंसी ] । दुनिया का सबसे क्रूर तानाशाह के नाम से मशहूर एडोल्फ हिटलर की छोटी सी यहूदी लड़की के साथ दोस्ती के किस्से हो या 1940 में उसके और नाजी पार्टी द्वारा क्रिसमस मनाया जाने का मामला हो, उसका हर पहलू लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय रहा है। एक बड़ा सवाल यह है कि अपनी नस्लीय मान्यताओं के कारण सुर्खियों में रहने वाले हिटलर के लिए क्रिसमस की क्या जरूरत थी।
सुर्खियों में आया 1940 का वीडियो
दरअसल, हिटलर का एक वीडियो वायरल हुआ है। यह 1940 का वीडियो है। इसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक प्रचार वीडियो के रूप में बनाया गया था। फुटेज में एडॉल्फ हिटलर को क्रिसमस मनाते हुए दिखाया गया है। इस वीडियो की खासियत यह है कि वह बच्चों के साथ क्रिसमस मना रहा है और काफी खुश है। बच्चों से घिरे क्रिसमस लंच के लिए नाजी तानाशाह को नीचे बैठे देखा गया है। ऐसे में यह सवाल पैदा होता है कि आखिर हिटलर के जीवन में इस क्रिसमस को मनाने के पीछे क्या मंशा रही होगी।
इस वीडियो में हिटलर छोटे बच्चों से घिरी मेज के चारों ओर क्रिसमस के भोजन का आनंद लेते हुए दिखाई देता है, जबकि उसके मंत्री हरमन गॉरिंग और जोसेफ गोएबल्स बच्चों के साथ खेलते हुए और उन्हें उपहार देते हुए दिखाया है। वीडियो क्लिप में खुश बच्चे क्रिसमस के पेड़ के नीचे एक स्वस्तिक के साथ शीर्ष पर कैरल गा रहे हैं, और उच्च-नाजी अधिकारियों से उपहार प्राप्त कर रहे हैं। यहूदियों से बेतहाशा नफरत करने वाला यह वही हिटलर था जिसने 1993 और 1945 में बीच क्रिसमस की छुट्टियों को खत्म करने की आधिकारिक पहल की। उसने यहूदी और ईसाईयों की होने वाली छुट्टियों पर प्रतिबंध लगाया था। ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस पर्व मनाए जाने के पीछे हिटलर की मंशा कुछ और ही थी। उसने उस वक्त की मूल समस्याओं की ओर से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए क्रिसमस पर्व को जमकर मनाया।
हिटलर का मकसद दुनिया से यहूदी को खत्म कर देना
दरअसल, यह वह दौर था जब 1939 में जर्मनी द्वारा विश्व युद्ध भड़काने के बाद हिटलर ने यहूदियों को जड़ से मिटाने के लिए अपने अंतिम हल को अमल में लाना शुरू किया था। हिटलर का मकसद दुनिया से एक-एक यहूदी को खत्म कर देना था। उसके सैनिक यहूदियों को कुछ खास इलाकों में ठूंसने लगे। उनसे काम करवाने, उन्हें एक जगह इकट्ठा करने और मार डालने के लिए विशेष कैंप स्थापित किए गए थे, जिनमें सबसे कुख्यात था ऑस्चविट्ज। यहूदियों को इन शिविरों में लाया जाता और वहां बंद कमरों में जहरीली गैस छोड़कर उन्हें मार डाला जाता। जिन्हें काम करने के काबिल नहीं समझा जाता, उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता, जबकि बाकी बचे यहूदियों में से ज्यादातर भूख और बीमारी से दम तोड़ देते।
सूर्य के पुनर्जन्म का जश्न
इस बाबत नाजी विचारकों का दावा था कि क्रिसमस जर्मनी की प्राचीन परंपराओं पर अाधारित था। उनका तर्क था कि इसका यीशु जन्म से कोई लेनादेना नहीं है। बल्कि यह शीतकालीन संक्रांति और सूर्य के पुनर्जन्म का जश्न था। नाजी पोस्टरों में सांता क्लॉज़ को यहां तक कि सेंट निकोलस के ईसाई सुदृढीकरण के बजाय जर्मनिक भगवान 'ओडिन' के रूप में प्रतिनिधित्व किया गया था। इसे जोड़ने के लिए नाजी पार्टी ने दावा किया कि स्वस्तिक सूर्य का एक प्राचीन प्रतीक था और जर्मन जनता को स्वस्तिक को क्रिसमस ट्री के शीर्ष पर रखने के लिए प्रोत्साहित किया। क्रिसमस पर यीशु के आने के जुड़ाव को हटाने की भी कोशिशें हुईं। इसकी जगह हिटलर के आने के स्थान पर इसे 'उद्धारकर्ता फ्यूहरर' कहा गया।
यहूदी बच्ची के साथ्ा हिटलर की दोस्ती सुर्खियों में
हिटलर की छोटी सी यहूदी लड़की के साथ साल 1933 में एक तस्वीर ली गई थी, जो अब सामने आई है। इस यहूदी बच्ची के साथ हिटलर की अच्छी मित्रता थी। 1933 में इस तस्वीर को फोटोग्राफर हैनरिक हॉफमैन के कैमरे ने कैद किया। 85 साल पहले ली गई इस तस्वीर को अमेरिका में नीलाम कर दिया गया है. इस तस्वीर को अमरीका में 11,520 डॉलर यानी 8,14,176 रुपये में नीलाम किया गया था।