ऑक्सफोर्ड पर टिकी दुनिया की निगाह, सितंबर में करीब 10 लाख खुराक वैक्सीन उपलब्ध कराने का दावा!

इस दिशा में ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्‍वविद्यालय में परखी जा रही वैक्‍सीन पर दुनिया की निगाह टिकी है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि सितंबर तक वैक्सीन की खुराक तैयार हो सकती है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Tue, 28 Apr 2020 07:27 AM (IST) Updated:Tue, 28 Apr 2020 07:27 AM (IST)
ऑक्सफोर्ड पर टिकी दुनिया की निगाह, सितंबर में करीब 10 लाख खुराक वैक्सीन उपलब्ध कराने का दावा!
ऑक्सफोर्ड पर टिकी दुनिया की निगाह, सितंबर में करीब 10 लाख खुराक वैक्सीन उपलब्ध कराने का दावा!

लंदन, एजेंसी।  कोरोना महामारी से निपटने के लिए दुनिया वैक्‍सीन विकसित करने के लिए पांव मार रही है। इस दिशा में  ब्रिटेन के  ऑक्सफोर्ड विश्‍वविद्यालय में परखी जा रही वैक्‍सीन पर दुनिया की निगाह टिकी है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि सितंबर तक वैक्सीन की खुराक तैयार हो सकती है। सितंबर में करीब 10 लाख खुराक वैक्सीन उपलब्ध कराया जा सकता है। वैज्ञानिकों के इन दावों पर यकीन किया जाए तो सितंबर के बाद कोरोना महामारी से निपटने का क्रम शुरू हो सकता है। हालांकि, अभी इस वैक्‍सीन का मानव ट्रायल चल रहा है। इस दिशा में वैक्‍सीन का इंसान पर पहला परीक्षण गुरुवार को शुरू हो चुका है। इसके नतीजे सकारात्‍म हैं। इस शोध में लगी टीम के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके सफल होने की संभावना 80 फीसद है। 

ब्रिटिश सरकार ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की टीम का पूरा समर्थन करते हुए इसके लिए दो करोड़ पाउंड देने का एलान भी किया है। स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा कि सरकार हरसंभव निवेश करेगी। दुनिया में सफल टीका विकसित करने वाला पहला देश बनने के लिए उम्मीदें इतनी ज्यादा हैं कि मैं इस पर सब कुछ लगा रहा हूं।रिपोर्ट में कहा गया है जेनर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने वैक्सीन विकसित करने पर एक आशाजनक शुरुआत की है। इन परीक्षणों से यह पहले से ही साबित हो चुका है कि इसी तरह का टीकाकरण मनुष्यों के लिए सुरक्षित है।  COVID-19 वैक्सीन के लिए परीक्षण निर्धारित किए गए हैं, जिसमें मई-अंत तक 6,000 से अधिक लोगों पर इ सका परीक्षण किया जाएगा। इन परीक्षणों न केवल यह दिखाने की उम्मीद है कि यह सुरक्षित है, बल्कि यह प्रभावशाली ढंग से कारगर भी है। 

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि  पिछले महीने मोंटाना के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोधकर्ताओं ने ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की छोटी खुराक के साथ कई रीसस मकाक बंदरों को टीका लगाया गया है। जानवरों को तब भारी मात्रा में वायरस के संपर्क में लाया गया जो महामारी का कारण बन रहा है, जो कि प्रयोगशाला में अन्य बंदरों को लगातार बीमार कर रहा था। डॉ मुंस्टर ने कहा कि रीसस मैकाक बहुत ही निकटतम चीज है, जो हम मनुष्यों के पास है।  यह कह उन्‍होंने कहा कि शोधकर्ता अभी भी परिणामों की जांच कर रहे है और आने वाले सप्ताह में इसे अन्य वैज्ञानिकों के साथ साझा किए जाने की संभावना है।

उधर, ब्रिटने की सरकार ने कहा है कि देश वैक्‍सीन विकसित करने में प्रगति कर रहा है, लेकिन सरकार ने चेतावनी दी है कि नागरिकों को अगले साल तक कोई टीका या उपचार नहीं मिलने तक शारीरिक दूरी के उपायों पर निर्भर रहना पड़ सकता है। पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा था कि कोरोना वायरस के लिए अंडर-ट्रायल वैक्सीन को वैश्विक सार्वजनिक अच्छा माना जाना चाहिए और सार्वभौमिक उपलब्धता के साथ सस्ती बना दिया जाना चाहिए।

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