रूस तय समय पर भारत को करेगा एस-400 सिस्टम की आपूर्ति, पुतिन बोले- सब कुछ सही रास्ते पर

भारत और रूस के बीच एस-400 डिफेंस सिस्टम को लेकर 2015 में सौदा हुआ था। अमेरिका तभी से इसका विरोध कर रहा है। रूसी सिस्टम को दुनिया का सर्वोत्कृष्ट एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Fri, 15 Nov 2019 07:50 PM (IST) Updated:Fri, 15 Nov 2019 08:16 PM (IST)
रूस तय समय पर भारत को करेगा एस-400 सिस्टम की आपूर्ति, पुतिन बोले- सब कुछ सही रास्ते पर
रूस तय समय पर भारत को करेगा एस-400 सिस्टम की आपूर्ति, पुतिन बोले- सब कुछ सही रास्ते पर

ब्राजीलिया, प्रेट्र। भारत को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति निर्धारित समय पर होगी। इस सौदे में सब कुछ योजना के अनुसार हो रहा है। भारतीय साथी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ने सौदे की प्रक्रिया को तेज करने के लिए कुछ नहीं कहा है। सब कुछ उचित तरीके से आगे बढ़ रहा है। यह बात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के साथ डिफेंस सिस्टम के 5.43 अरब डॉलर (40 हजार करोड़ रुपये) के सौदे पर कही है। पुतिन और मोदी ब्रिक्स समिट में भाग लेने ब्राजील आए थे। रूस और भारत के बीच हुए इस सौदे का अमेरिका विरोध कर रहा है और कई मौकों पर वह अपने प्रतिबंध कानूनों का हवाला देकर भारत पर दबाव डाल चुका है।

भारत और रूस के बीच एस-400 डिफेंस सिस्टम को लेकर 2015 में सौदा हुआ था। अमेरिका तभी से इसका विरोध कर रहा है। रूसी सिस्टम को दुनिया का सर्वोत्कृष्ट एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह दुश्मन की ओर से होने वाले किसी भी हवाई हवाई हमले को 400 किलोमीटर दूरी पर ही खत्म करने में सक्षम है। यह मिसाइल, फाइटर प्लेन और हर तरह के ड्रोन को निशाना बनाने में सक्षम है।

जबकि अमेरिका का बहुचर्चित थाड डिफेंस सिस्टम केवल मिसाइल हमले को ही रोक सकता है। भारत रूसी डिफेंस सिस्टम के लिए पूरी धनराशि का भुगतान कर चुका है, इसलिए इसकी आपूर्ति पूर्व निर्धारित समय से पहले होगी। सिस्टम की पहली बैटरी 2021 में भारत को मिल जाएगी।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने बुधवार को ब्राजीलिया में समिट से इतर द्विपक्षीय मसलों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने आपसी समझौतों और सौदों की प्रगति की भी समीक्षा की। दोनों नेताओं ने आपसी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने के तरीकों पर भी चर्चा की। भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी दबाव में आए बगैर अपने हितों के मुताबिक फैसले लेने की नीति पर चलता रहेगा। रूस के साथ उसके पुराने और प्रगाढ़ संबंध इसी नीति पर आगे बढ़ रहे हैं।

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