पाक में राज्य प्रायोजित आतंकवाद और नेताओं के अपहरण के खिलाफ सड़क पर उतरे लोग

पाकिस्तान में गरीबी और बेरोजगारी के भंवर में फंसे लोग सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर चुके हैं। सिंध प्रांत में लोगों ने उग्र प्रदर्शन किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 31 Jul 2020 06:02 AM (IST) Updated:Fri, 31 Jul 2020 06:02 AM (IST)
पाक में राज्य प्रायोजित आतंकवाद और नेताओं के अपहरण के खिलाफ सड़क पर उतरे लोग
पाक में राज्य प्रायोजित आतंकवाद और नेताओं के अपहरण के खिलाफ सड़क पर उतरे लोग

पेशावर, एएनआइ। पाकिस्तान में असंतोष का लावा उबाल लेने लगा है। गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा के भंवर में बुरी तरह फंसे पाकिस्तान के लोग सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर चुके हैं। सिंध प्रांत के शहीद बेनजीर अबद जिला स्थित काजी अहमद शहर में बड़ी संख्या में लोगों ने राज्य प्रायोजित आतंकवाद और सेना तथा खुफिया एजेंसियों द्वारा लोगों को गायब किए जाने के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया।

आंदोलनकारी 'सिंध प्रांत में राज्य प्रायोजित आतंकवाद बंद करो, तानाशाही खत्म करो व बर्बरता बंद करो' जैसे नारे लगा रहे थे। वे लोग सिंध प्रांत के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को छोड़ने की मांग कर रहे थे। इनमें बड़ी संख्या में वे लोग भी शामिल थे, जिनके परिजन को गायब कर दिया गया है।

सिंध नेशनल वॉयस ने गायब किए गए लोगों की सूची जारी की है, जिनमें नवाब महर, असलम मेहारी, एजाज गाहो व हाफिज पीरजादा शामिल हैं। जर्मनी में निर्वासन झेल रहे जेएसएमएम के चेयरमैन शफी बर्फत ने खास बातचीत में कहा, 'यह रैली पाकिस्तानी सेना व खुफिया एजेंसी आइएसआइ द्वारा अपहृत किए गए लोगों की सुरक्षित रिहाई के लिए आयोजित की गई थी।

प्रांत से बड़ी संख्या में नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों व दूसरे बुद्धिजीवियों को खुफिया एजेंसियों व सेना ने अपहृत किया है और उन्हें गुप्त स्थानों पर रखा है।' उन्होंने कहा कि सिंध साधन संपन्न राज्य है, लेकिन वहां रहने वाले लोग अत्यंत गरीबी और बेरोजगारी के शिकार हैं। यहां का एक बड़ा वर्ग पाकिस्तान से आजादी चाहता है, लेकिन पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियां हिंसक तौर पर उनकी आवाज को दबाने का काम कर रही हैं।

उल्‍लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर जून में वर्चुअली आयोजित तीसरी प्लेनरी में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला किया था। एफएटीएफ का मानना है कि पाकिस्‍तान लश्कर ए तैयबा और जैश ए मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की आतंकी फंडिंग पर रोक लगा पाने में विफल रहा है। यह प्लेनरी चीनी शियांगमिन लियू की अध्यक्षता में हुई थी। 

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