पाक में गृहमंत्री की धमकी के बाद भी विपक्षियों ने की रैली, सरकार और सेना के खिलाफ उगली आग

पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी मरयम ने कहा कि विपक्षी दल जिस दिन अपने सासंदों का इस्तीफा पेश कर देंगे उसी दिन से इमरान सरकार कुछ ही दिन का मेहमान रह जाएगी। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी तक हर हाल में इमरान सरकार को जाना ही पड़ेगा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Mon, 04 Jan 2021 05:32 PM (IST) Updated:Mon, 04 Jan 2021 05:37 PM (IST)
पाक में गृहमंत्री की धमकी के बाद भी विपक्षियों ने की रैली, सरकार और सेना के खिलाफ उगली आग
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और पीएम(एल) की नेता मरयम नवाज की फाइल फोटो

इस्लामाबाद,एजेंसियां। पाकिस्तान के गृह मंत्री की धमकी और प्रशासन के अनुमति न दिए जाने के बाद भी विपक्षी दलों ने बहावलपुर में हजारों लोगों के बीच रैली की। इस रैली में जमकर इमरान सरकार के खिलाफ आग उगली गई और फिर ऐलान किया गया कि 31 जनवरी तक सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। इधर सीनेट में चुनाव को लेकर विपक्षी अभी एक मत नहीं हुए हैं।

बहावलपुर में रैली को लेकर इमरान सरकार के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने धमकी दी थी कि सरकार और सेना के खिलाफ बोलने वालों को 72 घंटे के अंदर जेल में पहुंचा दिया जाएगा। इस बयान के कुछ घंटे बाद ही प्रशासन की बिना अनुमति के हजारों लोगों के बीच बहावलपुर रैली में पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरयम नवाज व अन्य वक्ताओं ने सेना और सरकार पर जमकर निशाना साधा। मरयम ने कहा कि विपक्षी दल जिस दिन अपने सासंदों का इस्तीफा पेश कर देंगे, उसी दिन से इमरान सरकार कुछ ही दिन का मेहमान रह जाएगी। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी तक हर हाल में इमरान सरकार को जाना ही पड़ेगा।

सेना की कठपुतली सरकार को उखाड़ फेंकना ही हमारी प्राथमिकत: बिलावल भुट्टो

इधर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि जनता के खिलाफ काम करने वाली सेना की कठपुतली सरकार को उखाड़ फेंकना ही हमारी प्राथमिकता है। राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत का एक ही मंच संसद है, लेकिन वहां भी बातचीत इमरान के इस्तीफे के बाद ही शुरू होगी।

सीनेट के चुनाव का करना चाहिए बहिष्कार 

इधर विपक्षी पार्टी सीनेट के चुनाव को लेकर अभी एक मत नहीं हैं। पीएमएल-एन और पीपीपी में दो मत के लोग हैं। एक का कहना है कि सीनेट के चुनाव का बहिष्कार करना चाहिए, जबकि दूसरे मत के लोगों का मानना है कि सरकार को खुला मैदान नहीं दिया जाना चाहिए।

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