अपने ही देश में डर के साए में जी रही आसिया बीबी, जानें कौन सा होगा अगला पड़ाव

सैफ-उल-मुलूक खुद भी इस फैसले के बाद पाकिस्तान छोड़कर नीदरलैंड में शरण ले चुके हैं। उन्हें भी कट्टरपंथियों समेत वकीलों के समूह ने जान से मारने की धमकी दी है।

By Amit SinghEdited By: Publish:Sat, 10 Nov 2018 02:10 PM (IST) Updated:Sat, 10 Nov 2018 03:00 PM (IST)
अपने ही देश में डर के साए में जी रही आसिया बीबी, जानें कौन सा होगा अगला पड़ाव
अपने ही देश में डर के साए में जी रही आसिया बीबी, जानें कौन सा होगा अगला पड़ाव

नई दिल्ली [जागरण विशेष]। पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप से बरी हुईं आसिया बीबी के जेल से रिहा होने के बाद से वहां लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। ऐसे में उन्हें और उनके परिवार को जान का भी खतरा महसूस हो रहा है। लिहाजा आसिया बीबी और उनका परिवार नीदरलैंड में शरण ले सकता है है। उनके वकील सैफ-उल-मुलूक ने इसकी पुष्टि की है। सैफ-उल-मुलूक खुद भी इस फैसले के बाद पाकिस्तान छोड़कर नीदरलैंड में शरण ले चुके हैं। उन्हें भी कट्टरपंथियों समेत वकीलों के समूह ने जान से मारने की धमकी दी है।

वहीं पाकिस्तान सरकार ने आसिया बीबी और उनके परिवार के नीदरलैंड या किसी अन्य देश में शरण लेने की खबरों का खंडन किया है। पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक आसिया पर हमले के खतरे को देखते हुए उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है। आसिया और उनका पूरा परिवार फिलहाल पाकिस्तानी सेना व पुलिस की सुरभा में हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुहम्मद फैसल ने गुरुवार को आसिया के देश से बाहर जाने की खबरों का भी खंडन किया था। उन्होंने कहा कि आसिया बीबी पाकिस्तान में ही हैं।

मामले में शुक्रवार को आशिया बीबी के वकील सैफ-उल-मुलूक ने कहा था कि वह आसिया बीबी और उसके परिवार के लिए नीदरलैंड में आश्रय तलाश रहे हैं। इस संबंध में उनकी नीदरलैंड के अधिकारियों, राजनेताओं और मंत्रियों से बात चल रही है। हालांकि उन्होंने आश्रय के लिए अभी आधिकारिक प्रक्रिया शुरू नहीं की है। उन्होंने पाकिस्तान में आसिया बीबी और उनके परिवार की जान को खतरा बताया था।

वहीं ईशनिंदा केस में मृत्यु की सजा पाने के बाद नौ साल तक पाकिस्तान में आसिया के इंसाफ की लड़ी का खर्च उठाने वाली इसाई संस्था ने बताया कि आसिया के वकील कुछ दिनों में उनके और उनके परिवार को शरण दिलाने के लिए नीदरलैंड से लिखित निवेदन करेंगे। वहीं मामले में नीदरलैंड ने एक बयान जारी कर कहा है कि केवल प्रभावित पक्ष ही शरण के ले आवेदन कर सकता है। उनके नाम पर कोई अन्य शरण पाने के लिए आवेदन नहीं कर सकता है। मालूम हो कि पिछले सप्ताह डच पार्लिटामेंट में ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों ने सरकार से मांग की थी कि जेल से रिहा होने के बाद आसिया बीबी और उसके परिवार को अस्थाई तौर से शरण दी जाए।

रिहाई के खिलाफ दायर होगी पुनर्विचार याचिका
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईशनिंदा केस में आसिया बीबी की रिहाई को कट्टरपंथियों द्वारा चुनौती दी जाएगी। इसके लिए जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। कट्टरपंथी जल्द से जल्द पुनर्विचार याचिका के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। साथ ही आसिया के पाकिस्तान से बाहर जाने पर भी रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। उधर आसिया के वकील ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर होती है और पाकिस्तानी सेना व पुलिस उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराती है तो वह आसिया बीबी का केस लड़ने के लिए फिर पाकिस्तान आएंगे।

2010 में मिली थी मौत की सजा
ईसाई महिला आसिया को ईशनिंदा के आरोप में 2010 में पाकिस्तानी की निचली अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी। फिलहाल वह मुल्तान की महिला जेल में बंद थीं। हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा था। पिछले हफ्ते पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा को पलटते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था। पांच बच्चों की मां आसिया को आठ नवंबर की मध्य रात्रि बरी किए जाने के बाद पाकिस्तान में हिंसा फैली हुई है। कट्टरपंथी इस्लामी तहरीक-ए-लबैक पार्टी (टीएलपी) ने धमकी दी थी कि अगर फैसले को पलटा नहीं जाता है तो वह पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेगी। टीएलपी ने आसिया को देश से बाहर भेजने की खबरों पर सख्त नाराजगी जताते हुए और उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

ये है पूरा मामला
53 साल की आसिया पर आरोप था कि पड़ोसियों ने जब गैर मुस्लिम होने के नाते उन्हें अपने गिलास में पानी पीने से रोका तो उन्होंने इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। आसिया हमेशा ईशनिंदा के आरोप से इन्कार करती रहीं। पाकिस्तान में ईशनिंदा पर मौत की सजा देने का प्रावधान है।

आसिया की रिहाई का फैसला देने वाले पाक जजों को कत्ल की धमकी
ईशनिंदा के झूठे और फर्जी आरोप में नौ साल की कैद काटने वाली पाकिस्तानी ईसाई महिला आसिया बीबी को रिहा करने का देश देने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी कत्ल की धमकी मिली है। फैसले के विरोध में सबसे अधिक उग्रता दिखा रहे संगठन टीएलपी के नेता मौलाना मुहम्मद अफजल कादरी ने खुलेआम कहा कि आसिया को बेगुनाह बताने वाले सुप्रीम कोर्ट के तीनों जजों का कत्ल कर देना चाहिए। यह काम जजों के सुरक्षाकर्मी या उनके ड्राइवर या फिर रसोइए को करना चाहिए।

इस दौरान मौलाना कादरी ने पंजाब के गवर्नर सलमान तसीर को मारने वाले उनके सुरक्षा गार्ड मुमताज का जिक्र भी किया। मुमताज ने सलमान तसीर की हत्या इसलिए की थी, क्योंकि उन्होंने ईशनिंदा वाले उस कानून में बदलाव की मांग की थी, जिसके तहत आसिया बीबी को फांसी की सजा सुनाई गई थी। बाद में मुमताज को फांसी की सजा दी गई, लेकिन सजा सुनाने वाले जज ने पाकिस्तान छोड़ दिया था। मुमताज की फांसी के बाद उसके समर्थकों ने उसके नाम पर एक मजार बना दी और अब वहां सालाना जलसा होता है।

अमेरिका भी आसिया के समर्थन
ईशनिंदा के आरोप में पाकिस्तान में सजा काट रही आसिया बीबी की रिहाई के लिए पांच नवंबर को अमेरिकी संसद में प्रस्ताव पेश किया गया था। सीनेट में इस आशय का प्रस्ताव दो शीर्ष सीनेटरों की ओर से लाया गया था। आसिया नूरीन उर्फ आसिया बीबी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ननकाना क्षेत्र की रहने वाली हैं और पांच बच्चों की मां हैं। उन्हें 2009 में ईशनिंदा का दोषी करार दिया गया था और 2010 में मौत की सजा सुनाई गई थी। माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद ही पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी।

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