राजनीतिक दल के तौर पर MML के रजिस्‍ट्रेशन पर पाक गृह मंत्रालय का विरोध

राजनीतिक दल के तौर पर मिल्‍ली मुस्‍लिम लीग पार्टी के रजिस्‍ट्रेशन को लेकर गृह मंत्रालय ने पाक चुनाव आयोग के पास विरोध जताया है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Sat, 23 Dec 2017 12:36 PM (IST) Updated:Sat, 23 Dec 2017 12:36 PM (IST)
राजनीतिक दल के तौर पर MML के रजिस्‍ट्रेशन पर पाक गृह मंत्रालय का विरोध
राजनीतिक दल के तौर पर MML के रजिस्‍ट्रेशन पर पाक गृह मंत्रालय का विरोध

इस्‍लामाबाद (जेएनएन)। मिल्‍ली मुस्‍लिम लीग (एमएमएल) को निषिद्ध संस्‍थाओं की शाखा बताते हुए गृह मंत्रालय ने पाकिस्‍तान चुनाव आयोग से मिल्‍ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) को राजनीतिक दल के तौर पर रजिस्‍ट्रेशन कराने का विरोध किया है। रक्षा एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने अपना निर्णय लिया है जिसमें कहा गया है कि राजनीतिक दल के तौर पर एमएमएल का पंजीकरण राजनीति में हिंसा और चरमपंथ को जन्‍म देगी।

एमएमएल द्वारा रजिस्‍ट्रेशन के लिए इस्‍लामाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका का जवाब मंत्रालय ने लिखित तौर पर दिया जिसमें कहा है कि एमएमएल की याचिका को खारिज कर दिया जाए।

इस साल के सितंबर माह में एमएमएल समर्थित उम्‍मीदवार याकूब शेख ने 5,822 मतों को प्राप्‍त किया और लाहौर के राष्‍ट्रीय विधानसभा क्षेत्र NA-120 के उपचुनाव में चौथे स्‍थान पर रहे।

गृह मंत्री के जवाब के अनुसार, एमएमएल प्रतिबंधित गुट लश्‍कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दवा से संबंधित है। इन गुटों पर भारत की ओर से 2001 में भारतीय संसद हमले और 2008 में मुंबई हमले में हाथ होने का आरोप है।

गृह मंत्रालय के कथित हस्‍तक्षेप के कारण राजनीतिक पार्टी के तौर पर पाकिस्‍तान चुनाव आयोग (इसीपी) द्वारा रजिस्‍ट्रेशन को खारिज किए जाने के आदेश को एमएमएल ने चुनौती दी। याचिका में कहा गया था कि एमएमएल का रजिस्‍ट्रेशन रद करना प्रशासनिक निष्पक्षता, संवैधानिक और वैधानिक दायित्वों और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

याचिका के अनुसार, इसीपी का यह आदेश भी पीपीओ 2002 का उल्‍लंघन है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह फिर से स्‍पष्‍ट करता है कि इसके सदस्‍य किसी प्रतिबंधित संस्‍था से संबंधित नहीं हैं। पार्टी के सभी सदस्‍य शिक्षित हैं और इनके खिलाफ कोई फर्जी एफआइआर तक नहीं है। याचिका में यह कहा गया है कि इसीपी के साथ रजिस्‍टर्ड 352 राजनीतिक पार्टियां ऐसी हैं जो न तो राजनीतिक पार्टी के मानदंडों को पूरा करती है और न ही इनमें लोकतंत्र है। अनेकों दलों का गठन क्षेत्रीय, धार्मिक, भाषाई, सामुदायिक आधार पर हुआ है और इसमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की मौजूदगी भी नहीं है।

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