India-Pakistan Relationship: भारत-पाक 'बैक चैनल डिप्लोमेसी' के रणनीतिकार सतिंदर लांबा का निधन

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी ने कहा कि बैक-चैनल डिप्लोमेसी के रूप में रखी गई लांबा की नींव आखिरकार एक दिन फलीभूत होगी। पाकिस्तान और भारत के बीच संबंध मधुर हुए तो इसका श्रेय लांबा को भी जाएगा।

By Shashank Shekhar MishraEdited By: Publish:Sat, 02 Jul 2022 09:17 PM (IST) Updated:Sat, 02 Jul 2022 09:17 PM (IST)
India-Pakistan Relationship: भारत-पाक 'बैक चैनल डिप्लोमेसी' के रणनीतिकार सतिंदर लांबा का निधन
भारत और पाकिस्तान के बीच बैक चैनल डिप्लोमेसी के रणनीतिकार सतिंदर लांबा का गुरुवार को निधन हो गया।

इस्लामाबाद, पीटीआइ। भारत और पाकिस्तान के बीच 'बैक चैनल डिप्लोमेसी' के रणनीतिकार सतिंदर लांबा का गुरुवार को निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। उन्होंने वर्ष 2005 से 2014 तक भारत और पाकिस्तान के बीच महत्वपूर्ण बैक चैनल राजनयिक वार्ता का नेतृत्व किया। उनके निधन पर पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी और पाकिस्तान के पूर्व राजनयिकों ने भी शोक जताया है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी ने कहा कि बैक-चैनल डिप्लोमेसी के रूप में रखी गई लांबा की नींव आखिरकार एक दिन फलीभूत होगी। बैक चैनल वार्ता में लांबा के पाकिस्तानी समकक्ष रहे रियाज मोहम्मद खान ने भारतीय राजनयिक को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि अगर कभी पाकिस्तान और भारत के बीच संबंध मधुर हुए तो इसका श्रेय लांबा को भी जाएगा।

कश्मीर के बारे में बात करते हुए खान ने कहा कि दोनों पक्ष कश्मीर के एक उपक्षेत्र के लिए स्वशासन के फार्मूले पर सहमत हुए थे। उन्होंने कहा कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले से वार्ता में बाधा आई, लेकिन 2014 तक दोनों पक्षों के बीच गुप्त प्रयास और संचार जारी रहा। भारत में पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने भी लांबा के साथ अपनी बातचीत और शांति के लिए उनके प्रयासों के बारे में यादें साझा कीं। बासित ने कहा, भारत में रहने के दौरान मैं उनसे कई बार मिला। पाकिस्तान में उनके अच्छे संबंध थे, क्योंकि उन्होंने यहां उप उच्चायुक्त और उच्चायुक्त के रूप में काम किया था और बैक चैनल कूटनीति में शामिल थे।

एक सवाल के जवाब में बासित ने कहा कि पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी ने अपनी किताब में लिखा है कि दोनों देश कश्मीर पर एक समझ बनाने के करीब हैं, लेकिन लांबा ने कभी इसे खुले तौर पर स्वीकार नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि लांबा ने अपने देश के हितों से कभी समझौता नहीं किया। पूर्व विदेश सचिव शमशाद अहमद खान ने लांबा की मौत को पाकिस्तान और भारत के बीच शांति कूटनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति करार दिया, जबकि उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की।

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