वेनेजुएला में मादुरो को हटाकर खुद को अंतरिम राष्‍ट्रपति घोषित करने वाले कौन हैं 'गुएडो'

वेनेजुएला में बीते कुछ दिनों से जुआन गुएडो का नाम काफी चर्चा में है। अमेरिकी समर्थन के बाद खुद को अंतरिम राष्‍ट्रपति घोषित करने वाले गुएडो फिलहाल अंडरग्राउंड हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Sat, 26 Jan 2019 02:41 PM (IST) Updated:Sat, 26 Jan 2019 02:41 PM (IST)
वेनेजुएला में मादुरो को हटाकर खुद को अंतरिम राष्‍ट्रपति घोषित करने वाले कौन हैं 'गुएडो'
वेनेजुएला में मादुरो को हटाकर खुद को अंतरिम राष्‍ट्रपति घोषित करने वाले कौन हैं 'गुएडो'

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। वेनेजुएला में गहराए आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच अचानक से जुआन गुएडो के नाम की खूब चर्चा हो रही है। गुएडो दरअसल, वहां विपक्ष के नेता हैं, लेकिन उनका परिचय सिर्फ यहीं तक नहीं है। इससे पहले गुएडो राष्‍ट्रपति मादुरो के गुरू शावेज का भी खुलेतौर पर विरोध कर चुके हैं। लेकिन अब अमेरिका का साथ मिल जाने पर वह अचानक से काफी आक्रामक हो गए हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप द्वारा मादुरो की जगह गुएडो को अपना समर्थन दिए जाने के बाद ही उन्‍होंने खुद को अंतरिम राष्‍ट्रपति भी घोषित किया है। आपको बता दें कि ट्रंप ने गुएडो को समर्थन देने को लेकर ट्वीट भी किया था। यहां पर ये भी नहीं भूलना चाहिए कि राष्‍ट्रपति मादुरो के साथ ट्रंप के रिश्‍ते काफी समय से खराब चल रहे हैं।

रूस का विरोध
बहरहाल, वेनेजुएला में अमेरिकी हस्‍तक्षेप का रूस ने काफी सख्‍ती के साथ विरोध किया है। रूस ने सीधेतौर पर वहां फैली अस्थिरता के लिए अमेरिका को ही दोषी ठहराया है। फिर भी इन सभी के बीच गुएडो को लेकर उठ रहे स्‍वर देश में उनके राजनीतिक कद का तो परिचय दे ही रहे हैं। इसलिए उनके बारे में जानना और अधिक जरूरी हो जाता है। वहीं वेनेजुएला के बाहर उनका नाम ज्‍यादा प्रसारित नहीं हुआ है। आपको बता दें कि इसी वर्ष जनवरी में ही उन्हें विपक्षी दलों के नियंत्रण वाली नेशनल असेंबली का अध्यक्ष चुना गया। यह कदम राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के खिलाफ अभियान तेज करने के लिए उठाया गया। यहां पर आपको बता दें कि विपक्ष लगातार मादुरो को एक तानाशाह के रूप में पेश कर रहा है। 

अंडरग्राउंड हुए जुआन
जुआन गुएडो ने 23 जनवरी को ही खुद को देश का राष्‍ट्रपति घोषित किया था। इसके तुरंत बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, कनाडा, और कई लेटिन अमेरिकी अमेरिकी देशों समेत अमेरिकी राज्यों के संगठन ने भी उनका समर्थन करने का एलान कर दिया था। बदलते घटनाक्रम के बीच हरकत में आई सरकार ने तुरंत गुएडो के समर्थकों की गिरफ्तारी भी शुरू कर दी और खुद गुएडो अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए अंडरग्राउंड हो गए हैं।जहां तक उनसे सरकार के खींचतान की बात है तो बता दें कि पिछले सप्‍ताह भी टाउनहॉल में बैठक के लिए जाते समय पुलिस ने उन्‍हें हिरासत में ले लिया था। आपको बता दें कि गुएडो ने ऐसे समय में देश के राजनीतिक परिदृश्य में कदम रखा है जब देश के आर्थिक हालात बेहद खराब हो चुके हैं। इतना ही नहीं यहां मुद्रास्‍फीति की दर 13 लाख फीसद तक पहुंच चुकी है। छात्र राजनीति से देश की राजनीति में कदम रखने वाले जुआन गुएडो पेशे से इंजीनियर हैं।

राजनीतिक जीवन
गुएडो जब 15 साल के थे तब देश में समाजवादी परिवर्तन की लहर थी। उस वक्‍त मादुरो के राजनीतिक गुरू ह्यूगो शावेज की तूंती बोलती थी। उस वक्‍त ला ग्‍वेरा में हुए एक लैंडस्‍लाइड की चपेट में उनका परिवार आ गया था। इस घटना ने कई लोगों की जान ले ली थी और काफी लोग बेघर हो गए थे। गुएडो ने एक समाचार एजेंसी से यहां तक कहा है कि उन्‍हें डर है कि उनका हश्र भी दूसरे सहयोगियों के जैसा ही हो सकता है। 2015 में वह नेशनल एसेंबली के लिए चुने गए और इस साल के पहले सत्र में उन्हें असेंबली का अध्यक्ष चुन लिया गया। उनके शुरुआती दौर में मादुरो ने जुआन पर खास ध्‍यान नहीं दिया था। उस वक्‍त वह उन्‍हें कभी गाइदो तो कभी ग्‍वायर बताते थे। ग्‍वायर दरअसल यहां की राजधानी में बहने वाली प्रदुषित नदी है।  

लोपेज को जाता है श्रेय
उन्‍हें राजनीति में आगे बढ़ाने का श्रेय पूरी तरह से वेनेजुएला के सबसे मशहूर विपक्षी नेता लियोपोल्डो लोपेज को ही जाता है। गुएडो उनके काफी समय से सहायक रहे हैं। 2014 में लोगों ने पहली बार गुएडो को लोपेज के करीब देखा था। वहीं लोपेज का हर कदम गुएडो से सलाह के बाद ही उठाया गया होता था। फिलहाल मादुरो सरकार ने लोपेज को नजरबंद किया हुआ है। 2017 में मादुरो ने संवैधानिक एसेंबली का गठन किया था और नेशनल एसेंबली के अधिकार छीन लिए थे। इसके बाद भी लोपेज पर्दे के पीछे काम करते रहे थे। लोपेज पॉपुलर विल पार्टी से संबंध रखते हैं। फिलहाल नेशनल एसेंबली का नेतृत्व उनकी ही पार्टी के हाथ में है और गुएडो इसके अध्‍यक्ष हैं। मादुरो इस पार्टी के करीब आठ नेताओं को बीते चार वर्षों में देश निकाला दे चुके हैं। 2017 के विरोध प्रदर्शनों में उन्‍हें भी रबड़ की गोलियां लगी थीं, जिनके निशान आज भी उनके शरीर पर मौजूद हैं।

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