Explainer: चीन-जापान के संबंधों में क्या आएगी नरमी? चिनफिंग और किशिदा के बीच मुलाकात की क्या है केमिस्ट्री
What is Japan China Dispute हाल में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो की मुलाकात के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा। इसके साथ यह भी जानेंगे कि दोनों देशों के बीच विवाद क्या है।
नई दिल्ली, जेएनएन। What is Japan China Dispute: हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रमकता के कारण जापान और चीन के बीच तनावपूर्ण रिश्ते हैं। अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वाड के गठन के बाद दोनों देशों के बीच संबंध काफी नीचे स्तर पर चले गए। हाल में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो की मुलाकात के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। इसके बाद जापान के विदेश मंत्री की चीन यात्रा को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। दोनों देशों के बीच क्या है प्रमुख विवाद। चीन और जापान के बीच अमेरिका कैसे बना बड़ा फैक्टर।
तीन वर्ष बाद चिनफिंग और किशिदा की मुलाकात
हालांकि, दोनों देशों के तनाव के बीच 17 नवंबर को बैंकाक में एशिया पैसिफिक इकोनामिक कोआपरेशन की बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो की मुलाकात हुई थी। बैंकाक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा हुई। कथित तौर पर दोनों नेताओं ने तीन वर्षों में पहली बार व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की। बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को लगातार विकसित करने के महत्व पर अपनी सहमति व्यक्त की।
ताइवान को लेकर दोनों देशों के बीच टकराव
हाल में ताइवान को लेकर भी चीन और जापान के बीच विरोध सामने आए हैं। हाल में जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने ताइवान पर चिंता व्यक्त की थी, तब चिनफिंग ने इस पर आपत्ति दर्ज की थी। चिनफिंग ने कहा था कि यह चीन का आंतरिक मामला है। इसमें वह किसी का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा। क्वाड में शामिल होने के बाद ताइवान को लेकर चीन के साथ विरोध और बढ़ा है।
चीन-जापान के बीच क्या है विवाद, क्या है ताइवान फैक्टर
हाल में जापान की स्थानीय परिषद में चीन और ताइवान के साथ विवादित द्वीपीय क्षेत्र में स्थित कुछ द्वीपों की प्रशासनिक स्थिति बदलने वाले विधेयक को मंजूरी दी है। इस विधेयक के अनुसार जापान द्वारा नियंत्रित सेनकाकू द्वीप के पास स्थित टोलोशीरो (Tonoshiro) और दियोयस (Diaoyus) के नाम बदलकर टोनोशीरो सेनकाकू कर दिया गया है। उधर, चीन डियाओयू द्वीप तथा उससे संबद्ध क्षेत्र को अपनी सीमा में स्थित मानता है। चीन के मुताबिक जापान द्वारा क्षेत्र की प्रशासनिक स्थिति में किया गया बदलाव चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघ है। चीन ने आगे कहा कि चीन अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए दृढ़ है। इतना ही नहीं चीन ने द्वीपों के आस-पास के क्षेत्र में जंगी जहाजों के बेड़ों को तैनात कर दिया।
सेनकाकू द्वीप विवाद क्या है, क्या है इसका आर्थिक महत्त्व
यहां के अनेक द्वीपों पर लोगों का निजी नियंत्रण भी रहा है। चीन ने वर्ष 1970 के दशक में इस क्षेत्र पर ऐतिहासिक अधिकारों का हवाला देते हुए सेनकाकू/दियाओयू द्वीपों पर दावे करना शुरू कर दिया। सितंबर, 2012 में जापान द्वारा एक निजी मालिक से विवादित द्वीपों को खरीदने पर यह तनाव फिर से शुरू हो गया। ये द्वीप रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही ये मत्स्य पालन की दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में तेल का काफी समृद्ध भंडार मौजूद है।