एक नजर यहां भी: थाईलैंड की ही तरह पहले भी कई बार चला है गुफाओं में रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन

ऐसे में दुनिया के ये पांच किस्से उम्मीद की किरण जगाते हैं जब बचाव अभियानों में लोगों को गहरी गुफाओं के गर्भ से सही सलामत खींच के बाहर निकाला गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 09 Jul 2018 10:15 AM (IST) Updated:Mon, 09 Jul 2018 10:58 AM (IST)
एक नजर यहां भी: थाईलैंड की ही तरह पहले भी कई बार चला है गुफाओं में रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन
एक नजर यहां भी: थाईलैंड की ही तरह पहले भी कई बार चला है गुफाओं में रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। थाइलैंड की गुफा में फंसे 12 बच्चों व उनके कोच को बचाने की कोशिशें रविवार को शुरू हुईं। सारी दुनिया टकटकी बांधे उम्मीद लगाए बैठी है कि सभी 13 लोगों को सकुशल निकाला जा सके। उत्तरी थाइलैंड की थाम लुआंग गुफा में दो सप्ताह से अधिक समय से फंसे चार बच्चों को बाहर निकाल लिया गया है। विदेशी गोताखोरों (मुख्यत: यूरोप से) की टीम के 13 सदस्यों ने इस बचाव अभियान में जान की बाजी लगा दी। तीन हमेशा बच्चों के साथ रहे। बाकी सब रास्ते के खतरनाक स्थानों पर खड़े रहे। रास्ते के कुछ हिस्से बेहद संकरे और पानी से डूबे थे। इनकी चौड़ाई करीब आधा मीटर थी। यहां बच्चों को अकेले पानी में तैरकर आगे बढ़ना पड़ा। ऐसे में दुनिया के ये पांच किस्से उम्मीद की किरण जगाते हैं जब बचाव अभियानों में लोगों को गहरी गुफाओं के गर्भ से सही सलामत खींच के बाहर निकाला गया है। 

केंचुकी गुफा, अमेरिका, 1983
अप्रैल में आठ अनुभवहीन गोताखोर केंचुकी की एक गुफा में घूमने गए। वहां भारी बारिश और तूफान के बाद पानी भरने से उनके बाहर निकलने का आखिरी रास्ता बंद हो गया। टीम के एक लीडर ने एक डिब्बे में नोट छोड़ा। उसमें बड़े अक्षरों में ‘मदद करो’ लिखकर नीचे लिखा कि हम शनिवार 23 अप्रैल की सुबह 11 बजे से यहां फंसे हैं और अब रविवार 25 अप्रैल के दिन के 12 बज गए हैं। यह डिब्बा बचाव दल का मिला। कई घंटों की मशक्कत के बाद बचावदल ने सभी गोताखोरों को एक निर्जन चट्टान पर ढूंढ निकाला।

लेकुगिला गुफा, अमेरिका, 1991
अप्रैल में न्यूयॉर्क की रहने वाली 40 वर्षीय गुफा अन्वेषक एमिली डेविस कैलीफोर्निया के काल्र्सबाड कैवन्र्स नेशनल पार्क की लेकुगिला गुफा में फंस गईं। यह अमेरिकी की सबसे गहरी गुफा है। यहां उनके पैर पर एक पत्थर गिर पड़ा, जिससे वे चलने में असमर्थ हो गईं। उन्हें बचाने के लिए 91 घंटे तक चले अभियान में 200 से अधिक लोगों ने भाग लिया। आखिरकार उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

भूमिगत झील, वेनेजुएला, 1992
गोताखोरी के प्रशिक्षक गुस्ताव बाडिलो अपने दोस्त के साथ वेनेजुएला के समुद्र में तैरते हुए भूमिगत झील ढूंढ रहे थे। ढूंढते हुए वे पानी में गहरे उतर गए। उनका दोस्त तो वापस लौट आया लेकिन वे वहां पानी के अंदर एक गुफा के एयर पॉकेट में फंस गए। उन्होंने अपने मित्र को आवाज दी, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। अगले दिन वे आत्महत्या करने का मन बना चुके थे कि दो अमेरिकी गोताखोरों ने उस गुफा में घुसकर उन्हें बाहर निकाल लिया। वे 36 घंटे गुफा में फंसे रहे।

कोटजालन गुफा, मेक्सिको, 2004
छह ब्रिटिश नागरिक एक मेक्सिकन गुफा में घुसे। वे 36 घंटे में बाहर निकलने की योजना में थे, लेकिन बाढ़ के पानी का स्तर बढ़ने से वे एक हफ्ते से भी ज्यादा समय तक वहां फंसे रहे। उनमें से पांच ब्रिटिश सैनिक थे। ब्रिटिश सरकार ने कहा कि वे सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से गुफाओं में गए थे, लेकिन मेक्सिकन मीडिया ने खबरों में लिखा कि वे गुफा में परमाणु हथियार बनाने की सामग्री ढूंढने आए थे। आखिरकार उन्हें ब्रिटेन से आए बचाव कर्मियों ने सकुशल बाहर निकाला।

कोपियापो खदान मामला
अगस्त, 2010 की बात है। चिली के अटकामा मरुस्थल स्थित तांबे और सोने की खान में 700 मीटर गहराई में 33 मजदूर फंस गए। ये लोग खदान के प्रवेश द्वार से पांच किमी अंदर थे। नासा सहित दुनिया भर की विशेषज्ञ टीमें इन्हें बचाने में जुटीं। 13 अक्टूबर, 2010 को इन्हें सकुशल बाहर निकाला गया।

रीसेंडिंग गुफा, जर्मनी, 2014
जून में जर्मनी के 52 वर्षीय गुफा अन्वेषक जोहान वेस्टहॉसर जर्मनी की सबसे गहरी गुफा रीसेंडिंग में खोजबीन कर रहे थे कि ऊंचाई से गिरने से उनका सिर एक पत्थर में फंस गया। वह खुद से बाहर आने में सक्षम नहीं थे, लिहाजा उन्हें बचाने के लिए अभियान चलाया गया। 11 दिन चला यह अभियान बेहद जटिल रहा क्योंकि गुफा का मुंह छह हजार फीट ऊंचे पहाड़ पर था, जहां हेलीकॉप्टर भी नहीं लैंड कर सकता था। फिर भी किसी तरह बचाव दल ने उन्हें बाहर निकाल ही लिया। उन्हें बचाने में 728 लोगों ने मदद की।  

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