जानिए, क्‍यों ई-कचरे का नया अंतरराष्ट्रीय ठिकाना बना थाईलैंड

बैंकॉक पुलिस का कहना है कि ई-कचरा हांगकांग, सिंगापुर और जापान जैसे देशों से आ रहा है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Wed, 30 May 2018 06:03 PM (IST) Updated:Wed, 30 May 2018 06:03 PM (IST)
जानिए, क्‍यों ई-कचरे का नया अंतरराष्ट्रीय ठिकाना बना थाईलैंड
जानिए, क्‍यों ई-कचरे का नया अंतरराष्ट्रीय ठिकाना बना थाईलैंड

बैंकॉक, रायटर। थाईलैंड दुनियाभर के इलेक्ट्रॉनिक कचरे का नया ठिकाना बन गया है। देश के पर्यावरणविदों ने इस पर चिंता जताई है। थाई पुलिस का कहना है कि राजधानी के दक्षिण में स्थित लेम चाबांग बंदरगाह पर बीते मंगलवार को करीब 22 टन ई-कचरे से लदे सात कंटेनर पोत पहुंचे हैं।

दरअसल, चीन ने पिछले साल 24 तरह के विदेशी कचरे पर पाबंदी लगा दी थी। इस फैसले का असर जिन देशों पर पड़ा उनमें थाईलैंड भी शामिल है। पर्यावरणविदों ने चिंता जताई है कि बिना रोक-टोक आ रहे इस ई-कचरे में जहरीले तत्व भी हो सकते हैं। बैंकॉक पुलिस का कहना है कि ई-कचरा हांगकांग, सिंगापुर और जापान जैसे देशों से आ रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए पुलिस ने अवैध रूप से ई-कचरे का आयात करने वाली तीन कंपनियों के खिलाफ केस भी दर्ज किए हैं। दोषी पाए जाने पर कंपनी मालिक को दस साल तक की जेल हो सकती है।

...तो ई कचरे के ढेर में दब जाएगी दिल्‍ली, 2020 में 15 करोड़ किलोग्राम होगा कचरा
नई लैंडफिल साइट के विवाद और ठोस कचरा प्रबंधन की धुंधली तस्वीर के बीच दिल्ली में ई- कचरा तेजी से बढ़ रहा है। अगले दो साल में ही यह कचरा भी राजधानी के लिए एक बड़ी समस्या बन जाएगा। एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कॉमर्स (एसोचैम) की रिपोर्ट के मुताबिक यह कचरा न सिर्फ पर्यावरण में जहर घोल रहा है बल्कि कई गंभीर बीमारियों के मरीजों की संख्या में भी इजाफा कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक मौजूद दौर में दिल्ली में सालाना 85 हजार मीट्रिक टन ई कचरा उत्पन्न हो रहा है। 25 फीसद तक वार्षिक वृद्धि की दर से 2020 में यह ई-कचरा बढ़कर 1.5 लाख मीट्रिक टन हो जाएगा। इसमें 86 फीसद कंप्यूटर उपकरण, 12 फीसद टेलीफोन-मोबाइल उपकरण, आठ फीसद इलेक्ट्रिकल उपकरण एवं सात फीसद चिकित्सा उपकरण है। घरेलू ई स्क्रैप सहित अन्य उपकरण शेष पांच फीसद में आते हैं।

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