थाई राजकुमारी को पीएम उम्मीदवार बनाने वाली पार्टी पर गिरेगी राज, चुनाव आयोग ले सकता है ये फैसला

थाईलैंड की राजकुमारी उबोलरत्ना राजकन्या को पीएम उम्मीदवार बनाने वाली पार्टी पर चुनाव आयोग की गाज गिर सकती है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 13 Feb 2019 07:18 PM (IST) Updated:Wed, 13 Feb 2019 07:24 PM (IST)
थाई राजकुमारी को पीएम उम्मीदवार बनाने वाली पार्टी पर गिरेगी राज, चुनाव आयोग ले सकता है ये फैसला
थाई राजकुमारी को पीएम उम्मीदवार बनाने वाली पार्टी पर गिरेगी राज, चुनाव आयोग ले सकता है ये फैसला

बैंकॉक, एएफपी। थाइलैंड के चुनाव आयोग ने राजकुमारी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने वाली राजनीतिक पार्टी को भंग करने की दिशा में कदम उठाए हैं। चुनाव आयोग ने बुधवार को संवैधानिक अदालत से थाई रक्षा चार्ट पार्टी (टीआरसी) पार्टी को प्रतिबंधित करने की गुजारिश की। टीआरसी ने थाई नरेश महा वजीरलोंगकोर्न की छोटी बहन राजकुमारी उबोलरत्ना राजकन्या को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर सबको चौंका दिया था।

वर्ष 1932 में संवैधानिक राजतंत्र बनने के बाद से थाइलैंड का शाही परिवार राजनीति से दूर रहा है। इसी के चलते थाई नरेश और बाद में चुनाव आयोग ने भी राजकुमारी की उम्मीदवारी रद कर दी थी। पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा के समर्थकों द्वारा बनाई गई टीआरसी को प्रतिबंधित करने की याचिका भी दी गई थी। अभी हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कोर्ट पार्टी को भंग करने का फैसला 24 मार्च को होने वाले चुनाव से पहले लेगा या नहीं। अगर चुनाव से पहले ऐसा हुआ तो पार्टी के सभी नेताओं की उम्मीदवारी रद हो जाएगी। पार्टी प्रबंधकों पर लंबा प्रतिबंध भी लग सकता है। 

इससे पहले राजकुमारी उबोलरत्ना ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी वापस ले ली थी। ऐसा उन्होंने किंग महा वजीरालोंगकोर्न के कहने पर किया था। थाई रक्षा चार्ट पार्टी ने शनिवार को बताया था कि राजकुमारी उबोलरत्ना 24 मार्च को होने वाले चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगी। पार्टी ने उबोलरत्ना (67) को शुक्रवार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन 24 घंटे के भीतर ही अपने कदम को पीछे खींच लिया।

थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न के कड़े रुख के बाद थाई रक्षा चार्ट पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा था कि, हम शाही परंपरा का सम्मान करेंगे। बताया जा रहा है कि राजकुमारी उबोलरत्ना ने प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार से राजा नाराज थे और उन्होंने कहा था कि राजनीति में यह परंपरा राष्ट्रीय संस्कृति के खिलाफ है।

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