तालिबान ने मीडिया संगठन को नहीं करने दी पत्रकार वार्ता, संयुक्त राष्ट्र मिशन व अन्य संगठनों ने की तालिबानी फरमान की निंदा

अफगानिस्तान स्थित संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने तालिबानी फरमान को अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध बताया है। फ्री स्पीच हब ने आरोप लगाया है कि तालिबानी सुरक्षा कर्मियों ने मीडिया संगठनों के सदस्यों को पत्रकार वार्ता नहीं करने के लिए दबाव बनाया और धमकी दी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 08:19 PM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 08:29 PM (IST)
तालिबान ने मीडिया संगठन को नहीं करने दी पत्रकार वार्ता, संयुक्त राष्ट्र मिशन व अन्य संगठनों ने की तालिबानी फरमान की निंदा
संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने तालिबानी फरमान को अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध बताया (फाइल फोटो)

काबुल, एएनआइ। तालिबान ने अफगानिस्तान के मीडिया संगठन को देश में मीडिया की स्थिति पर पत्रकार वार्ता करने से रोक दिया। संयुक्त राष्ट्र मिशन व स्वतंत्र तथा निष्पक्ष मीडिया का समर्थन करने वाले संगठनों ने तालिबानी फैसले की निंदा की है।

टोलो न्यूज के अनुसार, अफगानिस्तान फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट एंड मीडिया की पत्रकार वार्ता बुधवार को काबुल में प्रस्तावित थी, जिसमें विभिन्न मीडिया संगठनों के 11 प्रतिनिधि अपने विचार करने वाले थे। अफगानिस्तान राष्ट्रीय पत्रकार संघ प्रमुख अली असगर अकबरजादा ने कहा, 'पत्रकार वार्ता में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को आमंत्रित किया गया था। दुर्भाग्यवश, देश के अधिकारियों के मौखिक आदेश के कारण इसे स्थगित करना पड़ा।' संघ के सदस्यों ने बताया कि उन्हें सरकारी अधिकारियों ने अनुमति मिलने तक पत्रकार वार्ता नहीं करने की चेतावनी दी है। अकबरजादा ने कहा, 'हम अधिकारियों से पत्रकार वार्ता के लिए अनुमति प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।'

अफगानिस्तान स्थित संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने तालिबानी फरमान को अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध बताया है। फ्री स्पीच हब ने आरोप लगाया है कि तालिबानी सुरक्षा कर्मियों ने मीडिया संगठनों के सदस्यों को पत्रकार वार्ता नहीं करने के लिए दबाव बनाया और धमकी दी।

आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश में 43 प्रतिशत मीडिया गतिविधियां रोक दी गई हैं और 60 प्रतिशत से ज्यादा मीडियाकर्मी बेरोजगार हो गए हैं।

2.3 करोड़ अफगानी गंभीर भुखमरी के शिकार : एनआरसी

नार्वेजियन रिफ्यूजी कउंसिल (एनआरसी) ने गुरुवार को कहा कि 2.3 करोड़ अफगानी गंभीर भुखमरी का सामना कर रहे हैं। उसने आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने की भी वकालत की। एनआरसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका व यूरोपीय देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के कारण सरकारी एजेंसियां राशि का हस्तांतरण नहीं कर पा रही हैं, जिसके कारण देश के सामने गंभीर आर्थिक और मानवीय संकट पैदा हो गया है।

chat bot
आपका साथी