श्रीलंका में जल्द ही संसद भंग किए जाने के आसार, अप्रैल तक हो सकते हैं चुनाव

श्रीलंका के चुनाव आयुक्त महिंदा देशप्रिय ने भी कहा है कि राष्ट्रपति द्वारा संसद भंग किए जाने पर चुनाव नामांकन का काम 12 मार्च से शुरू कर दिया जाएगा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sun, 01 Mar 2020 10:18 PM (IST) Updated:Sun, 01 Mar 2020 10:24 PM (IST)
श्रीलंका में जल्द ही संसद भंग किए जाने के आसार, अप्रैल तक हो सकते हैं चुनाव
श्रीलंका में जल्द ही संसद भंग किए जाने के आसार, अप्रैल तक हो सकते हैं चुनाव

कोलंबो, प्रेट्र। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे आम चुनाव जल्द कराने के लिए वर्तमान संसद को रविवार के बाद कभी भी भंग कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि देश में अप्रैल के मध्य तक संसदीय चुनाव कराए जा सकते हैं। विदेश मंत्री दिनेश गुणवर्धना ने शनिवार को इसके संकेत दिए। मौजूदा संसद का कार्यकाल इस साल 31 अगस्त तक है।

चुनावी प्रक्रिया अप्रैल तक पूरी कराई जाएगी

आम चुनाव की संभावना को देखते हुए श्रीलंका के चुनाव आयुक्त महिंदा देशप्रिय ने भी कहा है कि राष्ट्रपति द्वारा संसद भंग किए जाने पर चुनाव नामांकन का काम 12 मार्च से शुरू कर दिया जाएगा। इससे 225 सीटों वाली संसद के लिए चुनाव प्रक्रिया अप्रैल तक पूरी कराई जा सकेगी।

पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद गोतबाया ने अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।

हाल ही में भारत आए थे श्रीलंकाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे

बता दें कि श्रीलंका में हाल में हुए चुनाव में राष्ट्रपति चुने गए गोटाबाया राजपक्षे के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री बने महिंदा राजपक्षे अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक में दोनों नेताओं के बीच दिखी गरमाहट से साफ है कि राजपक्षे सत्ता की इस नई पारी में चीन की तरफ एकतरफा झुकाव की पुरानी राह पर नहीं चलेंगे। इसीलिए अपने छोटे भाई राष्ट्रपति गोटाबाया के पहले विदेश दौरे के लिए भारत को चुनने के बाद महिंदा ने भी मोदी से मुलाकात को सबसे पहली वरीयता दी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी द्विपक्षीय वार्ता के दौरान पुराने दौर से आगे निकल भारत-श्रीलंका के मैत्रीपूर्ण रिश्तों को पीपुल टू पीपुल स्तर पर बढ़ाने पर खास जोर दिया था। साथ ही श्रीलंकाई तमिलों के हितों के संरक्षण के एजेंडे को भी मोदी ने प्राथमिकता में रखते हुए राजपक्षे से खुली चर्चा की थी।

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