पोप फ्रांसिस की लोगों से अपील, लॉकडाउन से छूट के दौरान भी नियमों का करें पालन

ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु भी लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन कर रहे हैं। वह प्रतिदिन होने वाली प्रार्थना सभा में हिस्सा लेते हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Tue, 28 Apr 2020 03:43 PM (IST) Updated:Tue, 28 Apr 2020 03:44 PM (IST)
पोप फ्रांसिस की लोगों से अपील, लॉकडाउन से छूट के दौरान भी नियमों का करें पालन
पोप फ्रांसिस की लोगों से अपील, लॉकडाउन से छूट के दौरान भी नियमों का करें पालन

वेटिकन सिटी, रायटर। पोप फ्रांसिस ने लॉकडाउन से छूट के दौरान लोगों से नियमों का पालन करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा, हम ऐसा नहीं करते हैं तो दूसरे दौर के संक्रमण की आशंका बनी रहेगी। पोप ने मंगलवार सुबह की प्रार्थना के दौरान यह अपील की। ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु भी लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन कर रहे हैं। वह प्रतिदिन होने वाली प्रार्थना सभा में हिस्सा लेते हैं, लेकिन इसमें लोगों की उपस्थिति अत्यंत सीमित होती है। प्रार्थना सभा का इंटरनेट और टीवी पर सीधा प्रसारण किया जाता है।

पोप फ्रांसिस ने कहा, 'ऐसे समय जब विश्व के कई देश लॉकडाउन से छूट देने की योजना बना रहे हैं तो मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी लोग नियमों का पालन करें ताकि महामारी वापस नहीं आए।' पोप की इन टिप्पणियों को इटली के लिए प्रासंगिक माना जा रहा है, जहां लॉकडाउन खोलने को लेकर जो चरणबद्ध योजना बनाई गई है, उसकी कई लोग आलोचना कर रहे हैं।

उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया बहुत ही धीमी और सीमित है। इटली में कल-कारखानों और कंस्ट्रक्शन के काम को चार मई से खोलने की अनुमति दे दी गई है। अमेरिका के बाद कोरोना महामारी से इटली में ही सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।

विश्‍व के नेता राजनीतिक मतभेदों को दूर रखें

बता दें कि इससे पहले पोप ने पिछले दिनों वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान विश्व के नेताओं से राजनीतिक मतभेदों को दूर रखने और महामारी के मद्देनजर वैश्विक संघर्ष विराम की अपील करते हुए विभिन्न देशों से अपनी सेनाएं वापस बुला लेने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा था कि 'यह आपस में बंटे रहने का वक्त नहीं है।'

गरीब देशों का कर्ज माफ करें

पोप ने महामारी का सामना कर रहे गरीब देशों का कर्ज माफ कर देने या उनमें कमी करने की भी अपील की। उन्होंने सेंट पीटर के बैसीलिका (खुले प्रांगण) से कहा, 'सभी राष्ट्र यदि गरीब देशों के कर्ज माफ नहीं कर सकते हैं तो कम से कम उनके कर्ज के बोझ में कमी करने की स्थिति में तो जरूर होंगे।'

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