तालिबान के साथ सितंबर में शुरू होगी शांति वार्ता, दोनों पक्षों पर दबाव बना रहा है अमेरिका

जाने-माने राजनेता और राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा कि अफगान अधिकारी तालिबान से वार्ता के लिए तैयार हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 27 Aug 2020 06:45 PM (IST) Updated:Thu, 27 Aug 2020 06:45 PM (IST)
तालिबान के साथ सितंबर में शुरू होगी शांति वार्ता, दोनों पक्षों पर दबाव बना रहा है अमेरिका
तालिबान के साथ सितंबर में शुरू होगी शांति वार्ता, दोनों पक्षों पर दबाव बना रहा है अमेरिका

काबुल, रायटर। अफगानिस्तान में सरकार और तालिबान के बीच सितंबर में शांति वार्ता शुरू होने जा रही है। इससे 20 साल से गृहयुद्ध में फंसे देश में शांति की नई उम्मीद जगी है। जाने-माने राजनेता और राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा कि अफगान अधिकारी तालिबान से वार्ता के लिए तैयार हैं।

इससे पहले तालिबान कैदियों के अंतिम जत्थे की रिहाई को लेकर शांति वार्ता में पेच फंस गया था। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम ने अपने मतभेद दूर कर शांति वार्ता शुरू करने के लिए दोनों पक्षों पर दबाव बना रखा है। अमेरिका खुद भी इस लंबी लड़ाई से बाहर निकलने का रास्ता खोज रहा है। 

कैदियों की होनी है रिहाई 

ज्ञात हो कि अमेरिका और तालिबान के शांति समझौते के तहत अफगान सरकार को 5,000 तालिबानी कैदियों की रिहाई की जानी है। वहीं तालिबान को भी इसके बदले बंदी बनाए गए करीब एक हजार सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षा बलों को रिहा करना है। समझौते के दौरान इस पहलू को तालिबान-अफगानिस्तान सरकार के बीच वार्ता के सद्भावना के तौर पर देखा जा रहा था। तालिबान के साथ समझौते का उद्देश्य अफगानिस्तान में युद्ध को समाप्त करना करना है, जो अमेरिका ने 9/11 के तुरंत बाद शुरू किया था।

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू हो चुकी है और नवंबर तक पांच हजार से भी कम अमेरिकी सैनिक ही बचेंगे। 29 फरवरी को जब समझौता हुआ था उस वक्त देश में 13,000 सैनिक मौजूद थे। अब तक अफगानिस्‍तान सरकार ने 46 सौ तालिबानी आतंकियों को रिहा किया था। बाद में वह शांति समझौते से मुकर गया था। अब फिर शांति समझौते के लिए तैयार हुआ है।    

बाढ़ से बचे, गोलियों से मरे

अफगानिस्तान के परवन प्रांत में बाढ़ पीडि़तों पर तालिबान आतंकियों की फायरिंग में चार लोग मारे गए। ये लोग अपना घर छोड़कर टेंपो से जा रहे थे। यह घटना सैन्य चौकी के पास अफगान सुरक्षाबलों और आतंकियों की मुठभेड़ के दौरान हुई। तालिबान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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