K-Pop और स्मार्टफोन को लेकर किम ने दी बड़ी चेतावनी, हमारे लिए भी जानना जरूरी

उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग को डर है कि दुनिया से अलग उसके देशवासी इससे प्रभावित हो सकते हैं। अब उसने स्मार्टफोन पर नए प्रतिबंध थोपने शुरू कर दिए हैं।

By Amit SinghEdited By: Publish:Sat, 22 Dec 2018 01:45 PM (IST) Updated:Sat, 22 Dec 2018 06:50 PM (IST)
K-Pop और स्मार्टफोन को लेकर किम ने दी बड़ी चेतावनी, हमारे लिए भी जानना जरूरी
K-Pop और स्मार्टफोन को लेकर किम ने दी बड़ी चेतावनी, हमारे लिए भी जानना जरूरी

सियोल [जागरण स्पेशल]। उत्तर कोरिया ने अपने देशवासियों के लिए स्मार्ट फोन को लेकर एक चेतावनी जारी की है। इस चेतावनी में उत्तर कोरिया ने कहा है कि स्मार्ट फोन की एक अलग दुनिया हो सकती है, जो उन्हें प्रभावित कर सकती है। खास तौर पर युवाओं को। इस पर बाहरी दुनिया से आने वाली जानकारी और ट्रेंड्स युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है। उत्तर कोरिया की इस चेतावनी को उसके नागरिकों द्वारा स्मार्टफोन का उपयोग करने से पैदा होने वाले डर के तौर पर देखा जा रहा है। उत्तर कोरिया ने इससे बचने के लिए कई कदम उठाने और बहाने बनाने शुरू कर दिए हैं। हालांकि इसकी असली वजह कुछ और है।

उत्तर कोरिया, जो बाहरी दुनिया के प्रभाव से पूरी तरह से सील माना जाता है, को लगने लगा है कि बाहरी दुनिया से उनके नागरिकों का संपर्क भविष्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। दक्षिण कोरियाई अधिकारियों का अनुमान है कि उत्तर कोरिया में वर्ष 2008 के बाद से मोबाइल फोन की संख्या छह मिलियन (60 लाख) हो चुकी है। इस देश की कुल आबादी तकरीबन 25 मिलियन (2.5 करोड़) है। उत्तर कोरिया में सेलुलर सेवाओं की शुरूआत वर्ष 2008 में ही मिस्र की दूरसंचार कंपनी ओरसकॉम और संचार मंत्रालय के सहयोग से शुरू हुई थी।

कुछ दिनों पहले ही उत्तर कोरिया के एक मुख्य समाचार पत्र ने एक ऑर्टिकल प्रकाशित किया था। इसमें कहा गया था कि दुनिया भर के स्कूलों में स्मार्टफोन की शुरूआत से नकारात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं। इसमें कक्षा के दौरान स्मार्ट फोन का उपयोग, परीक्षा में नकल करने और अश्लील सामग्री का प्रचलन भी शामिल है। ये साबित करता है कि स्मार्ट फोन अस्वस्थ विचारधारा वाले छात्रों को उकसाने का माध्यम बन रहा है। यही वजह है कि दुनिया के अधिकांश शिक्षकों व माता-पिता का मानना है कि स्मार्ट फोन, छात्रों को भ्रमित कर गलत रास्ते पर चलने के लिए उकसा रहे हैं। इससे उनके जीवन मूल्यों में गिरावट आ रही है।

आर्टिकल में कहा गया है कि स्मार्ट फोन से इससे भी ज्यादा खतरा ये है कि इसके माध्यम से अश्लील संदेश, उपन्यास, वीडियो और हिंसक इलेक्ट्रानिक्स गेम्स असीमित रूप से बिना किसी रोकटोक के फैल रहे हैं। इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हालांकि आर्टिकल में ये नहीं बताया गया है कि उत्तर कोरिया में स्मार्ट मोबाइल फोन के बढ़ते प्रयोग को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे अथवा क्या कार्रवाई की जाएगी।

उत्तर कोरिया व दक्षिण कोरिया के अधिकारियों के अनुसार, उत्तर कोरिया ने स्मार्ट फोन के प्रसार के साथ यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि उसके जरिये नागरिकों को क्या जानकारी मिलेगी। अधिकारियों का मानना है कि यहां देश के नेता के रूप में, किम जोंग-उन ने भी उपकरणों के सही उपयोग को प्रोत्साहित करने में मदद की है।

मालूम हो कि उत्तर कोरिया ने खुद को पूरी दुनिया से अलग रखने के लिए अब भी अपने कंप्यूटरों और स्मार्ट फोन को वैश्विक संचार नेटवर्क से दूर रखा है। इसमें इंटरनेट का प्रयोग भी शामिल है। यहां तक की उत्तर कोरिया के रेडियो और टीवी सेट भी केवल प्रचार से भरे सरकारी प्रसारण ही प्रसारित करते हैं। माना जाता है कि उत्तर कोरिया में इस तरह के सूचना नियंत्रण को, तानाशाह किम जोंग उन द्वारा सत्ता पर पकड़ बनाए रखने और उनके परिवार के आसपास के व्यक्तित्व को बनाए रखने के तौर पर देखा जाता है। किम का परिवार द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपनी स्थापना के बाद से यहां शासन कर रहा है। कुछ समय पहले किम जोंग उन ने अपने यहां स्मार्ट फोन बनाने वाली एक फैक्ट्री का निरीक्षण भी किया था।

इन सब प्रतिबंधों के बावजूद उत्तर कोरियाई लोगों ने चोरी-छिपे आने वाले दक्षिण कोरिया के टीवी नाटकों सहित चीनी मनोरंजन का अपने स्मार्ट मोबाइल फोन पर उपयोग करना शुरू कर दिया है। ये फाइलें छोटे मेमोरी चिप्स और वायरलेस डाटा एक्सचेंज तकनीक (ब्लूटूथ) के जरिए स्मार्ट मोबाइल फोन व अन्य मोबाइल उपकरणों के बीच साझा की जा रही हैं। पिछले महीने दक्षिण कोरिया की संसद में एक मंत्री चो म्योंग-ग्यों द्वारा दिए गए एक बयान से भी इसकी पुष्टि होती है। संसद में दिए अपने बयान में उन्होंने बताया था कि उत्तर कोरियाई युवा, दक्षिण कोरिया के लड़कों के एक प्रसिद्ध बैंड (के-पॉप) की क्लिपिंग प्रसारित कर रहे हैं।

कार और लैंडलाइन अब भी स्टेटस सिंबल है
मालूम हो कि उत्तर कोरिया में आम लोगों को पूरी स्वतंत्रता नहीं है। यही वजह है कि वहां गिने-चुने लोगों के पास ही कार और लैंडलाइन टेलीफोन की सुविधा है। ऐसे में मोबाइल फोन वहां पर लोगों के लिए एक-दूसरे से जुड़ने का बेहतरीन तरीका बन रहा है। यही वजह है कि लैंडलाइन टेलीफोन और कार उत्तर कोरिया में अब भी स्टेटस सिंबल है। व्यारियों के एक विशेष वर्ग के लिए दोनों सुविधाएं आवश्यक उपकरण हैं, जिसका प्रयोग वह तानाशाह किम के निर्देशानुसार अपने व्यापार में करते हैं।

ऐसे बनते हैं उत्तर कोरिया में स्मार्टफोन
तमाम प्रतिबंधों के बावजूद एक तथ्य ये भी है कि उत्तर कोरिया में मोबाइल फोन किम सरकार के लिए राजस्व प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण जरिया बन चुके हैं। उत्तर कोरिया में सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियां चीनी सेलफोन व डिवाइस को रीब्रांड करके बेचती हैं। इन्हें विदेशी कलपुर्जों के साथ उत्तर कोरिया में ही एसेंबल किया जाता है। इनकी कीमत 100 से 300 डॉलर होती है।

स्मार्टफोन पर ऐसे लगाया जा रहा प्रतिबंध
दक्षिण कोरियाई अधिकारियों के अनुसार, उत्तर कोरिया के लोगों में स्मार्ट फोन के जरिए बाहरी दुनिया से संपर्क को लेकर किम सरकार इतनी चिंतिंत है कि उसने हाल में फाइल साझा करने से रोकने के लिए अपने यहां के स्मार्टफोन की ब्लूटूथ क्षमताओं को अवरुद्ध करना शुरू कर दिया है। साथ इन स्मार्टफोन में ऐसे सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किए जा रहे हैं जिससे बाहर से आने वाली फाइलें मोबाइल पर न खुलें।

साथ ही ये सॉफ्टवेयर सरकारी एजेंसियों को यूजर के स्मार्टफोन की निगरानी करने की भी सहूलियत देते हैं। इससे सरकारी एजेंसियों को पता चल जाएगा कि यूजर अपने मोबाइल पर क्या कर रहा है। इतना ही नहीं उत्तर कोरिया ने इंटरनेट व वैश्विक टेलीफोन नेटवर्क को प्रतिबंधित करने के लिए चीन से तस्करी होकर आने वाले सेलफोन के इस्तेमाल पर भी नकेल कस दी है। आशंका थी कि अगर चीनी सीमा के पास से तस्करी के इन फोन का इस्तेमाल किया जाए तो वह चीनी मोबाइल नेटवर्क से जुड़ सकते हैं।

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