मालदीव के पूर्व राष्‍ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 5 साल की जेल

मालदीव के पूर्व राष्‍ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 5 साल जेल की सजा सुनाई गई है। अदालत ने यामीन पर 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का जुर्माना भी लगाया है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Thu, 28 Nov 2019 05:45 PM (IST) Updated:Thu, 28 Nov 2019 07:44 PM (IST)
मालदीव के पूर्व राष्‍ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 5 साल की जेल
मालदीव के पूर्व राष्‍ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 5 साल की जेल

माले, एएनआइ। मालदीव के पूर्व राष्‍ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 5 साल जेल की सजा सुनाई गई है। अदालत ने यामीन पर 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का जुर्माना भी लगाया है। यमीन राजकोष से चुराए गए धन का इस्तेमाल करने के दोषी करार दिए गए हैं। यह मामला पर्यटक रेजॉर्ट विकास के लिए द्वीपों को पट्टे पर देने के संबंध में हुए कथित संदिग्ध सौदे और यमीन के बैंक खाते में 10 लाख अमेरिकी डॉलर रकम का पता चलने से जुड़ा है।

यामीन अपने पांच साल के शासन के बाद सितंबर 2018 में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव हार गए थे। इसके बाद ही उनका बुरा दौर शुरू हो गया। ‘द मालदीव इंडिपेंडेंट’ की खबर के अनुसार, पुलिस ने पिछले सप्ताह जांच खत्म करने के बाद कहा था कि यमीन पर राजकोष से चुराए गये धन के इस्तेमाल का आरोप है। 2014 के ऐंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत इस अपराध के लिए पांच से लेकर अधिकतम 15 साल की जेल की सजा और 64,850 अमेरिकी डॉलर जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि, इस लिहाज से यामीन को कम ही सजा हुई है।

करोड़ों की राशि विदेश में छिपाकर रखने का भी आरोप

इस मामले की जांच के दौरान यामीन को पिछली फरवरी में गिरफ्तार कर लिया गया था। अवैध रूप से धन लेने का आरोप लगने के बाद अधिकारियों ने यामीन के एक बैंक खाते को भी सील कर दिया है। जिस खाते को सील किया गया, उसमें 65 लाख डॉलर (लगभग 46.51 करोड़ रुपये) की राशि थी। जांच अधिकारियों का मानना है कि यामीन ने संभवत: करोड़ों की राशि विदेश में छिपा रखा है, जिन्हें वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यामीन ने अपने कार्यकाल के दौरान विपक्षी नेताओं को या तो जेल में डाल दिया या फिर विदेश जाने के लिए मजबूर कर दिया था। वे राजनीतिक और आर्थिक समर्थन के लिए चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर थे और उनका मानवाधिकार के मोर्चे पर भी रिकॉर्ड अच्छा नहीं था।

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