कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया का सबसे बड़ा कार संयंत्र, ह्युंडई ने रोका उत्पादन

चीन में कोरोना वायरस से कार निर्माण में प्रयोग होने वाली वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो गई है। ह्युंडई के मामले में इलेक्ट्रॉनिक सामान की कमी हो गई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 08 Feb 2020 12:49 AM (IST) Updated:Sat, 08 Feb 2020 12:49 AM (IST)
कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया का सबसे बड़ा कार संयंत्र, ह्युंडई ने रोका उत्पादन
कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया का सबसे बड़ा कार संयंत्र, ह्युंडई ने रोका उत्पादन

सियोल, एएफपी। कोरोना वायरस के प्रकोप से चीन समेत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। इसी के चलते ह्युंडई ने उल्सान कंप्लैक्स में उत्पादन स्थगित करने का फैसला किया है। पांच प्लांट वाले इस नेटवर्क में प्रति वर्ष 14 लाख वाहनों का उत्पादन किया जाता है। समुद्र तट पर स्थित होने के चलते इस प्लांट से ग्लोबल स्तर पर वाहनों का निर्यात होता है।

कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए चीन के कई क्षेत्रों में उत्पादन संयंत्र बंद

चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस खतरनाक वायरस का संक्रमण रोकने के लिए चीन के अधिकतर क्षेत्रों में उत्पादन संयंत्रों को बंद किया जा रहा है।

चीन से उपकरण सप्लाई में बाधा के चलते ह्युंडई ने रोका उत्पादन

चीन में कोरोना वायरस से कार निर्माण में प्रयोग होने वाली वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो गई है। ह्युंडई के मामले में इलेक्ट्रॉनिक सामान की कमी हो गई है। इसी वजह से कंपनी को अस्थायी रूप से अपना उत्पादन रोकना पड़ा है।

ह्युंडई ने दक्षिण कोरिया में सभी फैक्ट्रियों में उत्पादन अस्थायी रूप से बंद कर दिया

ह्युंडई ने दक्षिण कोरिया स्थित अपनी सभी फैक्ट्रियों में उत्पादन अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। कंपनी के इस कदम से 25 हजार कर्मचारियों को मजबूरन छुट्टी पर जाना पड़ा।

कोरोना वायरस के चलते ग्लोबल इकोनॉमी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है

इस बीच आइएचएस मार्किट ने कहा है कि कोरोना वायरस के चलते ग्लोबल इकोनॉमी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

2003 के सार्स वायरस से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है कोरोना

यह खतरा वर्ष 2003 में सामने आए सार्स वायरस से बड़ा साबित हो सकता है। इस मार्केट रिसर्च एजेंसी ने बताया कि सार्स वायरस के दौरान चीन की इकोनॉमी दुनिया में छठे नंबर पर थी, जो अब दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है। इस वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव बढ़ गया है।

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