भारतीय नीति में बड़ा बदलाव: अमेरिका और तालिबान समझौते में भारत भी होगा शामिल

अफगानिस्तान में जारी हिंसा को रोकने के लिए शनिवार को खाड़ी देश कतर की राजधानी दोहा में समझौते पर दस्तखत होंगे। इस मंच पर भारत का अप्रत्याशित प्रवेश होने जा रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 28 Feb 2020 12:30 AM (IST) Updated:Fri, 28 Feb 2020 07:41 AM (IST)
भारतीय नीति में बड़ा बदलाव: अमेरिका और तालिबान समझौते में भारत भी होगा शामिल
भारतीय नीति में बड़ा बदलाव: अमेरिका और तालिबान समझौते में भारत भी होगा शामिल

 दोहा, प्रेट्र। अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते के लिए मंच तैयार है। अफगानिस्तान में करीब दो दशकों से जारी हिंसा को रोकने के लिए शनिवार को खाड़ी देश कतर की राजधानी दोहा में समझौते पर दस्तखत होंगे। पाकिस्तान इस समझौते में प्रमुख पक्ष है, इसलिए प्रधानमंत्री इमरान खान गुरुवार को कतर पहुंच गए। लेकिन इस मंच पर भारत का अप्रत्याशित प्रवेश होने जा रहा है। कतर ने समझौता समारोह में भारत को आमंत्रित किया है और अब उसमें दोहा में मौजूद भारतीय राजदूत पी कुमारन शिरकत करेंगे।

यह पहला मौका होगा जब भारत तालिबान को मान्यता देने वाले किसी आयोजन में शिरकत करेगा। माना जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया भारत दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई वार्ता के बाद यह नीतिगत बदलाव आया है। वैसे मॉस्को में 2018 में तालिबान की मौजूदगी वाली वार्ता में भारत ने अनौपचारिक शिरकत की थी।

 समझौते को लेकर तालिबान की ओर से जारी हिंसा में आई कमी

कतर ने अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता को मान्यता दे रखी थी और दोहा में तालिबान का राजनीतिक कार्यालय अभी भी काम कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के भारत दौरे में कहा था कि तालिबान के साथ होने वाले शांति समझौते को भारी समर्थन मिल रहा है। ट्रंप की यह टिप्पणी अफगानिस्तान में तालिबान की ओर से जारी हिंसा में कमी होने पर आई थी। अफगानिस्तान में दो दशकों से जारी हिंसा में दसियों हजार लोग मारे जा चुके हैं और 25 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित होकर देश छोड़ चुके है। अफगानिस्तान बर्बादी के कगार पर पहुंच चुका है।

अमेरिका के लिए सबसे लंबा युद्ध साबित हुआ अफगान युद्ध

इस समझौते से 2001 से अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिका के 14 हजार सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ होगा। 19 साल से जारी संघर्ष में अमेरिकी सेना अपने 2,400 सैनिकों की जान गंवा चुकी है। यह अमेरिका के लिए सबसे लंबा युद्ध साबित हुआ है जिसमें अमेरिका को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। ट्रंप ने 2016 में चुनाव प्रचार के दौरान अमेरिका में वादा किया था कि राष्ट्रपति बनने पर वह अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाएंगे। इससे जन और धन, दोनों का नुकसान बचेगा।

इमरान द्विपक्षीय हितों को भी साधने में जुटे

इमरान की दोहा में कतर के अमीर (सत्ता प्रमुख) शेख तमीम बिन हामद अल-थानी से मुलाकात हुई है। इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने अपने नेता की कतर के अमीर से मुलाकात का वीडियो जारी करते हुए ट्वीट से इसकी सूचना दी है। इससे पहले पाकिस्तान के विदेश विभाग ने इमरान की कतर यात्रा के संबंध में कहा था कि इससे दोनों देशों के संबंध मजबूत होंगे और क्षेत्रीय विकास के लिए सहयोग बढ़ेगा। 2018 के बाद इमरान की प्रधानमंत्री के रूप में यह दूसरी कतर यात्रा है।

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