India Nepal border Dispute : भारतीय सीमा पर विशेषज्ञ समिति ने नेपाल सरकार को सौंपी रिपोर्ट

भारत से लगने वाली सीमा के बारे में ऐतिहासिक तथ्य जुटाने के लिए गठित विशेषज्ञों की समिति ने नेपाल सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। नेपाल सरकार ने इस समिति का गठन भारतीय इलाके कालापानी लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर अपने दावे को पुख्ता करने के मकसद से किया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 05 Oct 2020 10:22 PM (IST) Updated:Mon, 05 Oct 2020 10:22 PM (IST)
India Nepal border Dispute : भारतीय सीमा पर विशेषज्ञ समिति ने नेपाल सरकार को सौंपी रिपोर्ट
नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली की फाइल फोटो।

 काठमांडू, प्रेट्र। भारत से लगने वाली सीमा के बारे में ऐतिहासिक तथ्य जुटाने के लिए गठित विशेषज्ञों की समिति ने नेपाल सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। नेपाल सरकार ने इस समिति का गठन भारतीय इलाके कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर अपने दावे को पुख्ता करने के मकसद से किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली को सौंपी है। 

कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर दावा जताने के बाद गठित की थी समिति

नेपाल सरकार ने अपने दावे के अनुरूप मई में देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी किया था जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन तीनों भारतीय इलाकों को नेपाली क्षेत्र बताया गया था। ये तीनों इलाके भारत के उत्तराखंड प्रदेश में हैं।

संशोधित नक्शा जारी होने से पहले नेपाल की संसद ने सर्वसम्मति से उस पर सहमति जताई थी। जवाब में भारत ने कहा था कि यह नेपाल का अपनी सीमा को कृत्रिम रूप से बढ़ाने वाला कदम है। नेपाल के कदम से छह महीने पहले भारत ने नवंबर 2019 में अपना नक्शा जारी किया था जिसमें तीनों इलाके पूर्ववत भारत का हिस्सा दिखाए गए हैं।

 भारत ने नेपाल के इस कदम को उस सहमति के खिलाफ बताया था जिसके अनुसार दोनों देशों को अपने सीमा संबंधी मसले बातचीत के जरिये निपटाने थे। भारतीय इलाके शामिल कर नेपाल का संशोधित नक्शा जारी होने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया में कहा, नेपाल भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे। नेपाल का यह एकतरफा कदम ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित नहीं है। भारत इस तरह के कृत्रिम सीमा विस्तार को स्वीकार नहीं करता है। 

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