बांग्लादेश की प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र में उठाएंगी रोहिंग्या संकट का मामला
यूएनएचसीआर ने कहा कि लगभग म्यामांर के हिंसा प्रभावित इलाकों से लगभग 4,00,000 लोग भाग गए हैं। वे बांग्लादेश में शरण लेने की मांग कर रहे हैं जबकि वहां पहले से ही सीमित आश्रय क्षमता है।
ढ़ाका (एएनआई)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना म्यामांर से बांग्लादेश आए रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के बैठक में उठायेंगी। इसके लिए वो 72वें संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में कोफी अन्नान की नेतृत्व वाली बैठक में इस मुद्दे को उठायेंगी।
सलाहकार आयोग ने सिफारिश की कि म्यांमार सरकार रख़ीन बौद्धों और रोहिंग्या मुस्लिमों के अलगाव को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाएं। इन सिफारिशों में निम्न बातों को कहा गया है; पूरे राज्य में निरंकुश मानवीय पहुंच सुनिश्चित करना, रोहिंग्या के संकटों से निपटना और 1982 नागरिकता कानून की समीक्षा करना, मानवाधिकारों के उल्लंघन की जवाबदेही, और आंदोलन की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध जैसे सिफारिश हैं।
डेली स्टार में छपी खबर के मुताबिक, बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए. एच. महमूद अली ने कहा कि प्रधान मंत्री हसीना 21 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की सामान्य बैठक में मानवीय संकट के पीछे के मूल कारणों को उजागर करने के साथ ही इनके शीघ्र सामाधान के प्रस्ताव को रखेंगी। म्यांमार के राखीन राज्य में हिंसा भड़कने के बाद बांग्लादेश के कॉक्स बाजार और टेक्निक बॉर्डर इलाकों में शरण लेने वाले रोहिंग्या मुसलमान अब भोजन, पानी, आवास, दवाइयों और स्वच्छता सुविधाओं को लेकर पीड़ित हैं।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी, यूएनएचसीआर ने कहा कि लगभग म्यामांर के हिंसा प्रभावित इलाकों से लगभग 4,00,000 लोग भाग गए हैं। वे बांग्लादेश में शरण लेने की मांग कर रहे हैं जबकि वहां पहले से ही सीमित आश्रय क्षमता है। पहले से ही 3,50,000 से अधिक शरणार्थी आसमान के नीचे बने शिविरों में रह रहे हैं। इनमें से कई स्वच्छ पेयजल और दवाईंयों के ना मिलने के कारण भयानक रोगों से पीड़ित हैं।
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