ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग ने बदल दिया नक्शा, खत्म कर दी दर्जनों विलुप्त हो रहे जानवरों की प्रजाति

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग ने यहां का पूरा नक्शा ही बदल दिया है। इस आग से सैकड़ों लुप्तप्राय होने वाले पक्षी जलकर खत्म हो चुके हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Sat, 11 Jan 2020 04:50 PM (IST) Updated:Sat, 11 Jan 2020 04:50 PM (IST)
ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग ने बदल दिया नक्शा, खत्म कर दी दर्जनों विलुप्त हो रहे जानवरों की प्रजाति
ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग ने बदल दिया नक्शा, खत्म कर दी दर्जनों विलुप्त हो रहे जानवरों की प्रजाति

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अमेजन के जंगलों के बाद ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा दिया है। इसे ऑस्ट्रेलिया के इतिहास की सबसे भयंकर आग माना जा रहा है। इससे अब तक 50 करोड़ जानवरों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 26 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। करोड़ों रूपये की संपत्ति भी आग से स्वाहा हो चुकी है। ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग ने तो कई जीव-जंतुओं का इतिहास ही खत्म कर दिया है।

इस आग ने कितने पशु पक्षियों को खत्म कर दिया है इसका सही से अंदाजा लगा पाना अभी मुश्किल है। इसी के साथ इन जंगलों के आसपास करोड़ों रूपये के मकानों में रह रहे लोगों के अलीशान मकान भी देखते-देखते जल गए। दो दर्जन से अधिक लोगों की जान भी जा चुकी है। 800 मिलियन (million) जानवर अब तक आग की भेंट चढ़ चुके हैं। 

800 मिलियन जानवर आ चुके आग की चपेट में 

बताया जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से अब तक 800 मिलियन जानवरों की मौत हो चुकी है। वो किसी न किसी वजह से आग की चपेट में आए हैं जिससे उनकी मौत हो चुकी है। इन मरने वाले जानवरों में कई विलुप्त होने की कगार पर थे जो अब इस आग की चपेट में आने के बाद अचानक से खत्म हो गए हैं। 

कुछ दिन पहले बरसात से आग ने दिलाई राहत 

कहा जा रहा था कि ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में विकराल आग से केवल बारिश राहत दिला सकती है। लेकिन देश के मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ महीने में बारिश और ठंडे मौसम की संभावना नहीं है। ऐसे में आग से फिलहाल राहत के आसार नहीं है। 2019 में ऑस्ट्रेलिया के सबसे गर्म साल के रिकॉर्ड के बाद, ब्यूरो ऑफ मेटेरोलॉजी ने कहा था कि अगले कुछ महीनों में तापमान औसत से अधिक रहने की संभावना है। ब्यूरो ने कहा कि देश के उत्तरी हिस्से में हल्की बारिश हो रही है, लेकिन यह दक्षिण-पूर्व में भड़की आग को बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऑस्ट्रेलिया पिछले कई महीनों से इस भीषण आग से जूझ रहा है और तीन साल के सूखे ने और गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन का एक कारण बता रहे हैं। 

 

सितंबर से अब तक दक्षिण कोरिया इतना क्षेत्र जल चुका है 

आग कितनी विकराल है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सितंबर से अब तक दक्षिण कोरिया में कई लाख किलोमीटर का क्षेत्र जल चुका है। इसमें 26 लोगों की मौत हो चुकी है और एक अरब से अधिक जानवर जल चुके हैं। मौसम विभाग ने कहा कि अफ्रीका के हिंद महासागर में गर्म पानी और जलवायु परिवर्तन की वजह से 2019 ऑस्ट्रेलिया का सबसे गर्म और सबसे सूखा साल रहा। 

गर्म मौसम की वापसी के बाद आग से खतरा बढ़ा 

अधिकारियों ने कहा कि देश के भारी आबादी वाले दक्षिण-पूर्व हिस्से में नई चेतावनी जारी की गई है। अधिकारियों ने लोगों से जल्द से जल्द इलाका खाली करने के लिए कहा है। गर्म मौसम की वापसी के बाद आग से खतरा बढ़ गया है। पिछले सप्ताह विक्टोरिया राज्य में जारी किए गए एक अलर्ट को दो दिन के लिए बढ़ा दिया गया है। 

मरने वाले जानवरों की मौत का आंकड़ा नहीं 

यह ज्ञात नहीं है कि विक्टोरिया, क्वींसलैंड, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया में कितने जानवरों की मौत हो गई है। हालांकि, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-ऑस्ट्रेलिया अब अनुमान लगाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर एक अरब से अधिक जानवरों को मार दिया गया है। प्रोफेसर डिकमैन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में लगी आग से स्तनधारियों के विलुप्त होने की दर बढ़ गई है। जो दुर्लभ पक्षी नार्मल तरीके से मरते वो असमय आग से मृत हो चुके हैं। 

प्रोफेसर डिकमैन ने तर्क दिया कि बुशफ़ायर जलवायु परिवर्तन के कारण थे और चेतावनी दी थी कि आने वाले वर्षों में दुनिया के अन्य हिस्सों में इसका प्रभाव देखा जा सकता है। ये जो आग दिखी है वो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव हैं। कभी-कभी, यह कहा जाता है कि आस्ट्रेलिया कोयले की खदान में कैनरी है जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सबसे गंभीर और जल्द से जल्द देखा जा रहा है। डिकमैन ने कहा कि यह ऑस्ट्रेलिया की मूल प्रजातियों के लिए 'बहुत दुखद समय' था, जिसमें से 244 को दुनिया में कहीं और नहीं पाया जा सकता है। 

जंगली जानवरों के विलुप्त होने का खतरा 

जंगलों में लगी आग से अब तक 800 मिलियन से अधिक जानवरों के मारे जाने का अनुमान है। वन्यजीव बचाव समूह ‘वाइर्स’ के साथ काम करने वाली प्राइस ने कहा कि हमें लगता है कि आग में बहुत कुछ नष्ट हो गया है।आग के चलते कोआला जानवरों के झुलसे हुए शरीरों, पोसम्स के जले हुए पंजों और अनगिनत कंगारुओं के शवों की भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं। मेंढक, कीट-पतंगे, अकशेरुकी और सरीसृप जैसे कम नजर आने वाले जंतुओं का भी आग के चलते सफाया हो जाने की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि जो जीव बच गए हैं, उन्हें जीवित रहने के लिए संकटपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। 

विश्व की सबसे बड़ी फायर सर्विस कर रही बचाव के काम 

ऑस्ट्रेलिया के आग से बचाव के लिए विश्व की सबसे बड़ी फायर सर्विस काम कर रही है। इस सर्विस से 74 हजार लोग जुड़े हुए हैं वो सभी आग बुझाने के लिए काम कर रहे हैं। यहां आग से कई-कई फुट लंबी लपटें देखने को मिली हैं। 

आग से हो रही तापमान में बढ़ोतरी 

दूसरी ओर, जंगल की आग के कारण ऑस्ट्रेलिया के अनेक हिस्सों को भीषण तापमान वृद्धि के खतरे का लगातार सामना करना पड़ रहा है। आशंका है कि गर्म हवाएं स्थिति को और बिगाड़ सकती हैं। ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया, न्यू साउथ वेल्स, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम ऑस्ट्रेलिया प्रांतों को आग के चलते लगातार खतरे का सामना करना पड़ रहा है। आपातकालीन प्रबंधन विभाग के अनुसार विक्टोरिया में 23 जगहों पर अब भी आग लगी हुई है। वहीं, न्यू साउथ वेल्स में लगभग 135 जगहों पर आग अब भी जारी है।  

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