ऊंचे पेड़ों पर रहने वाले खूबसूरत जीव 'कोआला' को विलुप्तप्राय घोषित कर सकती है ऑस्ट्रेलियाई सरकार

पिछले साल सितंबर में जंगलों में आग लगने के बाद से अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग एक करोड़ हेक्टेयर जमीन इससे प्रभावित हुई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Mon, 13 Jan 2020 05:34 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jan 2020 06:01 PM (IST)
ऊंचे पेड़ों पर रहने वाले खूबसूरत जीव 'कोआला' को विलुप्तप्राय घोषित कर सकती है ऑस्ट्रेलियाई सरकार
ऊंचे पेड़ों पर रहने वाले खूबसूरत जीव 'कोआला' को विलुप्तप्राय घोषित कर सकती है ऑस्ट्रेलियाई सरकार

मेलबर्न, प्रेट्र। ऑस्ट्रेलिया में ऊंचे पेड़ों पर रहने वाले खूबसूरत जीव कोआला को विलुप्तप्राय प्रजाति घोषित किया जा सकता है। इसका एलान सोमवार को खुद देश के पर्यावरण मंत्री ने किया। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से बड़ी संख्या में कोआला मारे गए और उनके रहने के 30 फीसद स्थान पूरी तरह नष्ट हो गए हैं।

पर्यावरण मंत्री सुसान ले ने कहा, जंगलों में लगी आग से कोआला की आबादी असाधारण रूप से प्रभावित हुई है। एक समिति इसका आकलन करेगी कि क्या देश के कुछ हिस्सों में असुरक्षित श्रेणी में आने वाले कोआला को विलुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में रखने की आवश्यकता है या नहीं। उत्तरी न्यू साउथ वेल्स और दक्षिण-पूर्व क्वींसलैंड में पहले से ही असुरक्षित जीवों की सूची में आने वाले कोआला जंगलों की आग से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। पिछले साल सितंबर में जंगलों में आग लगने के बाद से अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग एक करोड़ हेक्टेयर जमीन इससे प्रभावित हुई है।

न्यूजीलैंड सरकार ने नकारा कोआला को देश में बसाने का प्रस्ताव

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से बुरी तरह प्रभावित कोआला को न्यूजीलैंड लाकर बसाने के प्रस्ताव को सरकार ने नकार दिया है। कोआला रिलोकेशन सोसायटी के ऑनलाइन प्रस्ताव पर सोमवार दोपहर तक साढ़े सात हजार लोगों ने दस्तखत किए थे। इस संगठन का कहना है कि कोआला ऑस्ट्रेलिया में विलुप्त होने के कगार पर हैं और न्यूजीलैंड उनके लिए बेहतर स्थान साबित हो सकता है। न्यूजीलैंड सरकार के प्रवक्ता ने कहा, सरकार का ध्यान आग पर काबू पाने में मदद करने पर है जिससे कि कोआला अपने प्राकृतिक आवास में रह सकें।

पीएम मौरिसन की लोकप्रियता में आई कमी

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग का असर प्रधानमंत्री स्कॉट मौरिसन की लोकप्रियता पर भी पड़ा है। सोमवार को जारी एक सर्वे के नतीजों में 59 फीसद मतदाता उनके कामकाज से असंतुष्ट हैं। केवल 37 फीसद लोगों ने उन पर विश्वास जताया है। उनकी व्यक्तिगत रेटिंग भी आठ फीसद गिरकर 37 फीसद रह गई है।

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