अब हवा 'निचोड़कर' तैयार होगा पीने का पानी, वैज्ञानिकों ने बनाया उपकरण

इस नए उपकरण में इन सभी खामियों को दूर करने का दावा किया गया है। इसमें कैल्शियम क्लोराइड का इस्तेमाल किया गया है, जो सस्ता और टिकाऊ है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Mon, 03 Dec 2018 07:37 PM (IST) Updated:Mon, 03 Dec 2018 07:38 PM (IST)
अब हवा 'निचोड़कर' तैयार होगा पीने का पानी, वैज्ञानिकों ने बनाया उपकरण
अब हवा 'निचोड़कर' तैयार होगा पीने का पानी, वैज्ञानिकों ने बनाया उपकरण

दुबई, प्रेट्र। पीने के पानी की समस्या को दूर करने की दिशा में उम्मीद की नई किरण दिखी है। सऊदी अरब स्थित किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने ऐसा उपकरण बनाने में सफलता हासिल की है जो हवा से पानी के कण एकत्र करने में सक्षम है। वैज्ञानिक इसे पीने के पानी का नया विकल्प मान रहे हैं।

एक अनुमान के मुताबिक, धरती पर बह रही हवा में करीब 13 लाख करोड़ टन पानी समाया हुआ है। वैज्ञानिक लंबे समय से इस पानी को प्रयोग करने के तरीके पर काम कर रहे हैं। हवा से पानी के कण एकत्र करने के उपकरण पहले भी बनाए गए हैं। हालांकि उन उपकरणों की क्षमता या तो बहुत कम होती है या फिर इन पर आने वाला खर्च इन्हें अव्यावहारिक बना देता है। कुछ उपकरणों की जटिल संरचना के कारण उन्हें सामान्य परिस्थितियों में प्रयोग करना संभव नहीं रहता। इस नए उपकरण में इन सभी खामियों को दूर करने का दावा किया गया है। इसमें कैल्शियम क्लोराइड का इस्तेमाल किया गया है, जो सस्ता और टिकाऊ है। इसका कोई जहरीला प्रभाव भी नहीं होता है।

कैसे करता है काम?
यूनिवर्सिटी के शोधार्थी रेनयुआन ली ने बताया कि कैल्शियम क्लोराइड में पानी को सोखने की अद्भुत क्षमता होती है। यह हवा के संपर्क में आते ही उसमें से पानी के कणों को सोख लेता है। इस प्रक्रिया में सबसे बड़ी मुश्किल थी कि कैल्शियम क्लोराइड पानी के कण सोखकर उसमें घुल जाता है। इस परेशानी से पार पाने के लिए वैज्ञानिकों ने उसे खास हाइड्रोजेल में डुबा दिया। ऐसा करने से यह हवा से पानी के ज्यादा कण खींचता है और खुद ठोस बना रहता है। सोखे गए जल कणों को अलग करने और एकत्र करने के लिए इसमें कार्बन नैनोट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है।

प्रयोग में सफल रहा प्रोटोटाइप
वैज्ञानिकों ने एक प्रोटोटाइप बनाकर रातभर बाहर रखा। रात का समय इसलिए चुना गया था, क्योंकि उस समय हवा में नमी 60 फीसद तक ज्यादा थी। 35 ग्राम पदार्थ से रात में 37 ग्राम पानी सोखने में सफलता मिली। अगली सुबह ढाई घंटे सूर्य के प्रकाश में रहने पर पूरा पानी उपकरण में एकत्र हो गया। ली ने बताया कि अगर इस उपकरण को रोजाना तीन लीटर पानी बनाने के हिसाब से डिजाइन किया जाए तो इस पर एक दिन में 50 पैसे से भी कम खर्च आएगा।

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