ईरान की गैस परियोजना से बाहर हुआ ड्रैगन, जाने इस विवाद के पीछे क्या है अमेरिकी फैक्टर

जुलाई 2017 में चीन की सीएनपीसी फ्रांस की पेट्रो कंपनी टोटल और पेट्रोपार्स के बीच इस गैस क्षेत्र को लेकर समझौता हुआ था।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Mon, 07 Oct 2019 09:40 AM (IST) Updated:Mon, 07 Oct 2019 09:48 AM (IST)
ईरान की गैस परियोजना से बाहर हुआ ड्रैगन, जाने इस विवाद के पीछे क्या है अमेरिकी फैक्टर
ईरान की गैस परियोजना से बाहर हुआ ड्रैगन, जाने इस विवाद के पीछे क्या है अमेरिकी फैक्टर

तेहरान, एजेंसी। चीन की सरकारी पेट्रोिलयम कंपनी सीएनपीसी ईरान की एक बड़ी गैस परियोजना से बाहर हो गई है। सीएनपीसी ने यहां के अपतटीय प्राकृितक गैस क्षेत्र के एक हिस्से को विकिसत करने के लिए पांच अरब डॉलर करीब 35 हजार करोड़ रुपये के सौदे से खुद को अलग कर लिया है। 

ईरान के पेट्रालियम मंत्री बिजन नाादार जांगेनेह ने बताया कि अब इस परियोजना की जिम्मेदारी ईरान की सरकारी पेट्रोलियम कंपनी पेट्रोपार्स संभालेगी। वर्ष 2015 में दुनिया के बड़े देशों के साथ हुए समझौते के बाद ईरान को परमाणु कार्यक्रमों को सीमित रखने के बदले में प्रतिबंधों से छूट दी गई थी।

वर्ष 2017  मेंं हुआ करार   

बता देंं कि जुलाई, 2017 में चीन की सीएनपीसी, फ्रांस की पेट्रो कंपनी टोटल और पेट्रोपार्स के बीच इस गैस क्षेत्र को लेकर समझौता हुआ था। पिछले साल मई में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग करते हुए ईरान पर फिर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके तीन महीने बाद ही टोटल ने खुद को ईरान की इस परियोजना से बाहर कर लिया था। इसके बाद से ही परियोजना को लेकर हुए समझौते पर आशंका के बादल मंडराने लगे थे। अब सीएनपीसी ने भी खुद को इससे अलग कर दिया है।

अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते चीन उठाया कदम 

परियोजना से सीएनपीसी के अलग होने का कोई कारण नहीं बताया गया है, हालांकि माना जा रहा है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ही चीनी कंपनी ने यह कदम उठाया है। चीन अभी अमेरिका से ट्रेड वार खत्म करने के लिए बातचीत कर रहा है। ऐसे में वह अमेरिका से कोई अन्य टकराव नहीं चाहता। 2015 में ईरान से हुए समझौते में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और रूस भी शामिल थे। इन देशों ने ईरान के साथ समझौते पर बने रहने की बात कही है। हालांकि समझौते से अमेरिका के हटने के बाद से इन देशों के संयुक्त प्रयास भी ईरान के लिए खास फायदेमंद साबित नहीं हो सके हैं।

तेल बेचने के लिए हर संभव कोशिश करेगा ईरान

ईरान तेल बेचने के लिए हर संभव तरीका अपनाएगा। पेट्रोलियम मंत्री बिजन नामदार जांगेनेह ने जोर देकर कहा कि अपने यहां उत्पादित होने वाले पेट्रोलियम का निर्यात करना ईरान का अधिकार है। उन्होंने कहा कि हम तेल निर्यात करने के लिए हरसंभव उपाय करेंगे और अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे। तेल बेचना हमारा कानूनी अधिकार है। अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान का कच्चे तेल का निर्यात करीब 80 फीसद तक घट गया है। अमेरिकी प्रतिबंधों से सबसे ज्यादा ईरान का पेट्रोलियम सेक्टर ही प्रभावित हुआ है। इन प्रतिबंधों के कारण ईरान के कच्चे तेल के दूसरे सबसे बड़े ग्राहक भारत को भी अन्य विकल्पों की ओर रुख करना पड़ा है। 

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