चूहे के मस्तिष्क से Tissue को निकालकर 25 दिनों तक रखा जीवित, माइक्रोफ्लूडिक डिवाइस है मददगार

रिकेन सेंटर फॉर बायोसिस्टम्स डायनामिक्स के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी विधि विकसित की है जिसकी मदद से ऊतकों को लंबे समय तक जीवित रखा जा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 10:16 AM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 10:16 AM (IST)
चूहे के मस्तिष्क से Tissue को निकालकर 25 दिनों तक रखा जीवित, माइक्रोफ्लूडिक डिवाइस है मददगार
चूहे के मस्तिष्क से Tissue को निकालकर 25 दिनों तक रखा जीवित, माइक्रोफ्लूडिक डिवाइस है मददगार

टोक्यो, प्रेट्र। जापान के वैज्ञानिकों ने पहली बार चूहे के मस्तिष्क से ऊतकों को निकालकर लगभग 25 दिनों तक जिंदा रखने में सफलता पाई है। ऊतकों को जीवित रखने का नया तरीका वर्तमान में मौजूद विधियों से कहीं ज्यादा सुरक्षित है। रिकेन सेंटर फॉर बायोसिस्टम्स डायनामिक्स के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी विधि विकसित की है, जिसकी मदद से ऊतकों को लंबे समय तक जीवित रखा जा सकता है।

एनालिटिकल साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, नई प्रणाली में शोधकर्ताओं ने माइक्रोफ्लूडिक डिवाइस का प्रयोग किया है, जो ऊतक को सूखने और तरल पदार्थ में डूबने से बचाती है। ऊतकों को संरक्षित करने के लिए विशेष प्रकार के तरल पदार्थ का प्रयोग किया जाता है। ऊतक इसके ऊपरी भाग में तैरते रहते हैं और इसी से उन्हें जरूरी पोषक भी मिलते हैं। नई विधि से ऊतकों में बदलाव कर कई दवाओं और उनके यौगिकों का परीक्षण भी किया जा सकता है, जिससे नई दवाएं बनाई जा सकती हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा, ‘शरीर में मौजूद कोशिकाएं एक-दूसरे से जुड़ी रहती हैं और काम करती हैं। ऊतकों को इनसे अलग कर जिंदा रखना बहुत मुश्किल काम है। हम कुछ दिनों से ज्यादा उन्हें सुरक्षित नहीं रख सकते हैं क्योंकि एक निश्चित समय समय के बाद ऊतक खुद-ब-खुद नष्ट होने शुरू हो जाते हैं।’ उन्होंने कहा कि जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने पर ऊतक जल्दी सूख कर मर जाते हैं। वहीं, दूसरी ओर यदि हम विशेष तरल पदार्थों में इसे सहेजने की कोशिश करें भी तो इसके लिए बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है क्योंकि इन्हें सीधा तरल पदार्थ में डालने से इनमें गैसों की आवाजाही बाधित हो सकती है और इन्हें नुकसान हो सकता है।

माइक्रोफ्लूडिक डिवाइस है मददगार

इस समस्या से पार पाने के लिए रिकेन के वैज्ञानिकों ने माइक्रोफ्लूडिक डिवाइस विकसित की, जिसमें पॉलीडिमिथाइलसिलोक्सेन (पीडीएमएस) का उपयोग किया गया। इस डिवाइस में एक अर्ध-पारगम्य चैनल है जो एक कृत्रिम झिल्ली और ठोस पीडीएमएस की दीवारों से घिरा हुआ है। इसकी मदद से ऊतक द्रव में डूबे रहने के बजाय ऊपर तैरते रहते हैं और उन्हें उचित गैस भी मिलती रहती है। इसकी तकनीक के जरिये शोधकर्ताओं ने ऊतकों को 25 दिनों तक जिंदा रखने में कामयाबी हासिल की है।

शोधकर्ताओं ने कहा सुनने में यह प्रक्रिया मामूली लगती है पर वास्तव में यह बहुत जटिल प्रक्रिया है। इस अध्ययन की लेखक नोबुतोशी ओटा ने कहा, ‘हमारे लिए डिवाइस के चैनल में हवा के मध्यम प्रवाह को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती थी क्योंकि पीडीएमएस की दीवारों और छेद वाली झिल्ली असामान्य थी। हालांकि हवा के प्रवाह दरों का परीक्षण और कमियों में संशोधनों के बाद हमें यह सफलता हाथ लगी।

दवाओं पर ऊतकों की प्रतिक्रिया का चलेगा पता

शोधकर्ताओं ने कहा कि जैविक विकास और परीक्षण में यह अध्ययन बेहद उपयोगी सिद्ध होगा। साथ ही इससे यह भी पता लगाया जा सकता है कि ऊतक दवाओं पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। ओटा ने कहा, ‘इस विधि का उपयोग खास तौर जानवरों से निकाले गए ऊतकों के परीक्षण में किया जा सकता है, इससे घावों का उपचार करने में भी मदद मिल सकती है।

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