रिपोर्ट से खुलासा- चीन में सरकार विरोधी आवाज उठाने वालों को किया जा रहा प्रताड़ित, लोगों को मानसिक अस्पताल भेजकर दी जा रही यातनाएं

चीन में सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों का क्या हशर होता है इसका खुलासा एक रिपोर्ट से हुआ है। विरोध करने वाले लोगों को प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है। दावा किया गया है कि चीनी सरकार ऐसे लोगों को मानसिक अस्पतालों में भेजकर यातनाएं देती है।

By Mahen KhannaEdited By: Publish:Thu, 18 Aug 2022 05:08 PM (IST) Updated:Thu, 18 Aug 2022 05:08 PM (IST)
रिपोर्ट से खुलासा- चीन में सरकार विरोधी आवाज उठाने वालों को किया जा रहा प्रताड़ित, लोगों को मानसिक अस्पताल भेजकर दी जा रही यातनाएं
चीन में विरोध की आवाज को लेकर उठा पर्दा।

बीजिंग, एएनआइ : चीन में सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले लोगों को प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है। ऐसे लोगों को मानसिक अस्पतालों में भेजकर यातनाएं दी जाती हैं। मैड्रिड स्थित एनजीओ सेफगार्ड डिफेंडर की रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि चीनी पुलिस और सरकारी एजेंट याचिकाकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकताओं को मानसिक अस्पताल भेज देते हैं। यहां उपचार के नाम पर उन्हें यातनाएं दी जाती हैं। यह रिपोर्ट पीड़ितों और उनके परिवारों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है।

दशकों से चल रहा आवाज दबाने का खेल

रिपोर्ट में बताया गया कि देश में दशकों से विरोधी आवाज को दबाने के लिए इन अस्पतालों का प्रयोग किया जा रहा है। हालांकि एक दशक से ज्यादा समय पहले इस बर्बर प्रथा को रोकने केलिए कुछ कानून लागू किए थे। इसके बावजूद चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी विरोधियों को निशाना बनाने के लिए मानसिक अस्पतालों का उपयोग कर रही है। एनजीओ के डाटा के अनुसार, 99 चीनी लोगों को 2015 से 2021 के दौरान राजनीतिक कारणों से जरबन मानसिक अस्पताल भेजा गया और उन्हें वहां यातनाएं झेलनी पड़ीं।

आवाज उठाने वालों को नहीं मिलता न्याय

देश में शांति बनाए रखने के नाम पर पर सीसीपी (सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी) किसी भी याचिकाकर्ता और कार्यकर्ताओं को पूरी तरह से न्याय प्रणाली से बाहर करने में सक्षम है। एक वकील किसी भी मुकदमे में जाने के लिए भी स्वतंत्र नहीं है। सेफगार्ड डिफेंडर्स के अनुसार, चीनी अधिकारी उन्हें मानसिक बीमारी से इतना खराब कर देते हैं कि वो आगे कुछ करने लायक नहीं रहते।

पुलिस और सरकारी एजेंट मिलकर कर रहे अत्याचार

एनजीओ ने रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस और सरकारी एजेंट मनमाने ढंग से कार्यकर्ताओं को अस्पताल  भेजते रहते हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि डॉक्टरों और अस्पतालों को या तो मजबूर किया जाता है, या अधिकारियों के साथ मिलकर इस दुर्व्यवहार की अनुमति दी जाती है।  

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