जल संरक्षण के लिए भारत के प्रयासों की यूएन ने की तारीफ

यूनेस्को के प्रमुख ऑड्रे एजोले ने कहा, जल संकट से बचने के लिए जल स्त्रोतों का संचयन आवश्यक है। वरना यह समस्या आने वाले वर्षो में भयावह रूप ले लेगी।

By Manish NegiEdited By: Publish:Tue, 20 Mar 2018 09:44 PM (IST) Updated:Tue, 20 Mar 2018 09:44 PM (IST)
जल संरक्षण के लिए भारत के प्रयासों की यूएन ने की तारीफ
जल संरक्षण के लिए भारत के प्रयासों की यूएन ने की तारीफ

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया के समक्ष पानी का संकट खड़ा होता जा रहा है। 2050 तक करीब पांच अरब लोग साफ पानी की किल्लत से जूझ रहे होंगे। इस समस्या से निपटने के लिए भारत, चीन समेत कई देश प्रयास कर रहे हैं जिसकी संयुक्त राष्ट्र संगठन ने सराहना की है। यूएन ने अपनी एक रिपोर्ट में जल संरक्षण के प्राकृतिक उपाय तलाशने के लिए भारत की जमकर तारीफ की है। यह रिपोर्ट सोमवार को ब्राजील में एक कार्यक्रम के दौरान पेश की गई। यूनेस्को के प्रमुख ऑड्रे एजोले ने कहा, जल संकट से बचने के लिए जल स्त्रोतों का संचयन आवश्यक है। वरना यह समस्या आने वाले वर्षो में भयावह रूप ले लेगी।

यूएन ने रिपोर्ट में राजस्थान में काम कर रहे एक गैर-सरकारी संगठन तरुण भारत संघ का उदाहरण दिया। संगठन ने अपने प्रयासों से 1986 में आए सूखे का सामना आसानी से कर लिया था। संगठन ने स्थानीय लोगों की सहायता से जल स्त्रोतों का संचयन कर जंगलों का प्रसार किया। इसके फलस्वरूप 20 से 80 फीसद जंगल बढ़े साथ ही भूमिगत जल स्तर भी छह मीटर ऊंचा हुआ। खेतिहर भूमि की उर्वरता में भी इजाफा हुआ। मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता भी 33 फीसद बढ़ी।

चीन और यूक्रेन की भी तारीफ

यूएन ने रिपोर्ट में चीन के 'स्पोनज सिटी' अभियान की भी तारीफ की। इस अभियान के तहत वहां 70 फीसद वर्षा जल का पुनर्चक्रण किया जा रहा है। यूक्रेन के कृत्रिम वेटलैंड (दलदल भूमि) बनाने की योजना की भी प्रशंसा की गई।

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