आपदा में फंसे लाखों लोगों को बचाएगा नासा का खास सेटेलाइट, जानें- किस तरह करेगा काम

नासा के शोधकर्ताओं ने बताया कि बाढ़ के बाद सबसे अहम बात एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाओं के रिस्पांस टाइम की होती है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sun, 24 Nov 2019 07:17 PM (IST) Updated:Sun, 24 Nov 2019 07:19 PM (IST)
आपदा में फंसे लाखों लोगों को बचाएगा नासा का खास सेटेलाइट, जानें- किस तरह करेगा काम
आपदा में फंसे लाखों लोगों को बचाएगा नासा का खास सेटेलाइट, जानें- किस तरह करेगा काम

ह्यूस्टन, प्रेट्र। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि सैटेलाइट से रियल टाइम प्राप्त डाटा हमें कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले नुकसान से बचा सकता है। इससे आपदा से बचने की समय से रणनीति बनाई जा सकती है और लाखों लोगों को प्रभावित होने से बचाया जा सकता है।

'इंवायरमेंटल साइंस' नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में आपदा की स्थिति में सेटेलाइट से रियल-टाइम से मिले डाटा की अहमियत को बताया गया है।

ज्यादा से ज्यादा प्रभावित लोगों को बचाया जा सकता है

नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के शोधकर्ताओं ने दक्षिण-पूर्व एशिया में आई बाढ़ों का अध्ययन करते हुए बताया कि बाढ़ के बाद सबसे अहम बात एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाओं के रिस्पांस टाइम की होती है। अगर समय से काम करते हैं तो ज्यादा से ज्यादा प्रभावित लोगों को बचाया जा सकता है, लेकिन देखा यह जाता है कि कई बार ये आपातकालीन सेवाएं, एंबुलेंस आदि खुद सड़कों में फंस जाती हैं। इनके समय से न पहुंचने पर स्थिति बिगड़ जाती है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर अगर एंबुलेंस ड्राइवर और अन्य आपातकालीन सुविधाओं को तुरंत ही यह सूचना मिल जाए की आगे कौन सी सड़क बाढ़ की वजह से बह गई है यहा कौन सी जाम तो काफी हद तक नुकसान के साथ ही समय को भी बचाया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि अगर आपातकालीन सेवाओं के पास उपग्रह आधारित नक्शा होता जो दिखाता हो की कौन सी सड़क में क्या हलचल हो रही है तो कितना समय बचाया जा सकता था।

थाइलैंड में आई बाढ़ का किया अध्ययन

शोधकर्ताओं ने दक्षिण-पूर्व एशिया स्थित थाइलैंड की मेकांग नदी में 2011 में आई बाढ़ का अध्ययन किया। इस बाढ़ में लाखों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई थी। लाखों लोग विस्थापित हुए और सैकड़ों लोग मारे गए।

इस दिशा में काम करते हुए शोधकर्ताओं ने एक ऐसी एल्गोरिद्म बनाई है जो थाईलैंड के बैंकाक में मेकांग नदी बेसिन क्षेत्र में आपदा के दौरान आपातकालीन सेवाओं के लिए सबसे सही मार्ग बताती है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी इसमें सेटेलाइट का रियल-टाइम डेटा नहीं शामिल है।

इस तरह बनाई एल्गोरिद्म

शोधकर्ताओं ने नासा के मॉडरेट रेजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर (MODIS) का उपयोग करके बाढ़ के पानी की गहराई का अनुमान लगाया और नासा-यूएसजीएस लैंडसैट सेटेलाइट का उपयोग करके बाढ़ के फैलाव का पता लगाया। इसके अलावा उन्होंने नासा के सेडैक सेंटर के डाटा और ओपन स्ट्रीट मैप का भी उपयोग किया। इस दौरान उन्होंने मेकांग के बेसिन में एसे रूट तय किए जो बाढ़ के समय में कम प्रभावित होते हैं। जहां से बिना फंसे आसानी से निकला जा सकता है।

chat bot
आपका साथी