कोरोना मरीजों पर कारगर पाई गई रेमडेसिविर, संघीय वैज्ञानिकों ने जारी किया ट्रायल का आंकड़ा

अमेरिका में रेमडेसिविर दवा कोरोना मरीजों पर कारगर पाई गई है। इस बारे में संघीय वैज्ञानिकों ने दवा को लेकर किए गए ट्रायल के आंकड़े जारी किए गए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 24 May 2020 10:00 PM (IST) Updated:Sun, 24 May 2020 10:08 PM (IST)
कोरोना मरीजों पर कारगर पाई गई रेमडेसिविर, संघीय वैज्ञानिकों ने जारी किया ट्रायल का आंकड़ा
कोरोना मरीजों पर कारगर पाई गई रेमडेसिविर, संघीय वैज्ञानिकों ने जारी किया ट्रायल का आंकड़ा

न्यूयॉर्क [द न्यूयॉर्क टाइम्स]। संघीय वैज्ञानिकों द्वारा यह दावा किए जाने के लगभग एक महीने बाद कि एक प्रायोगिक दवा रेमडेसिविर ने कोरोना वायरस के गंभीर रूप से बीमार मरीजों के ठीक होने में मदद की थी, शोध प्रकाशित कर दिया गया है। रेमडेसिविर दवा को जल्द कोरोना वायरस रोगियों के उपचार के लिए खाद्य और औषधि प्रशासन द्वारा अधिकृत कर दिया गया। इसके बाद अस्पताल आपूर्ति हासिल करने के लिए दौड़ पड़े। हालांकि अध्‍ययन प्रकाशित होने से पहले वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने वास्तविक आंकड़ा नहीं देखा था।

इससे पहले मिली थी मायूसी

इससे पहले गिलियड साइंसेज द्वारा बनाए जा रहे रेमडेसिविर का एक दागदार इतिहास था। यह मूल रूप से हेपेटाइटिस के इलाज के लिए बनाया गया था लेकिन इसमें विफल रही। इसके बाद इबोला के खिलाफ इसका परीक्षण किया गया लेकिन इसमें भी नतीजे कम आए। अब तक किसी भी उद्देश्य के लिए रेमडेसिविर को आधिकारिक रूप से अनुमोदित नहीं किया गया है। खाद्य और औषधि प्रशासन द्वारा आपातकालीन उपयोग की अनुमति औपचारिक अनुमोदन नहीं था।

दवा से जल्‍द ठीक हुए मरीज

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिजीज (एनआइएआइडी) द्वारा प्रायोजित लंबे समय से प्रतीक्षित अध्ययन शुक्रवार शाम द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की वेबसाइट पर दिखाई दिया। यह सरकार के इस कथन की पुष्टि करता है कि रेमडेसिविर से अस्पताल में भर्ती मरीज 15 दिनों की तुलना में 11 दिनों में ठीक होने लगे।

साइड इफेक्‍ट भी नहीं

परीक्षण के दौरान 1,063 गंभीर रूप से बीमार मरीजों को या तो रेमडेसिविर या प्लेसबो दी गई। जिन लोगों को रेमडेसिविर दिया गया वे प्लेसबो दिए जा रहे मरीजों की तुलना में न केवल तेजी से ठीक हो गए, बल्कि उनमें गंभीर प्रतिकूल असर भी नहीं देखा गया। यह एक अंतरराष्ट्रीय परीक्षण था, जिनमें अधिकतर ठिकाने संयुक्त राज्य अमेरिका में थे। रोगियों का दैनिक मूल्यांकन किया गया और मूल्यांकन करने वाले लोगों को यह नहीं पता था कि किस मरीज को रेमडेसिविर और किसे प्लेसबो दिया गया।

साक्ष्‍य मिलने पर रोका ट्रायल

एक निगरानी बोर्ड ने निर्दिष्ट अंतराल पर आंकड़ों को देखा और जब दवा के प्रभावी होने के स्पष्ट साक्ष्य मिल गए तब उन्होंने परीक्षण रोकने के लिए कह दिया। 29 अप्रैल को एनआइएआइडी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें इसके बारे में बताया गया था लेकिन संक्रामक बीमारी का इलाज कर रहे चिकित्सक निराश थे, क्योंकि उनके पास निष्कर्षों तक पहुंच नहीं थी। इससे रोगियों का इलाज प्रभावित हो सकता था।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने दी अनोखी श्रद्धांजलि

अमेरिका के प्रमुख अखबारों में से एक न्यूयॉर्क टाइम्स ने रविवार को अनोखे तरीके से कोरोना महामारी में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी। अखबार के पहले पन्ने यानी फ्रंट पेज पर केवल महामारी से जान गंवाने वाले करीब एक लाख लोगों के नाम हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर अब तक 98,740 लोगों की मौत हुई है। फ्रंट पेज पर न तो कोई खबर है, न ही किसी तरह का विज्ञापन। अखबार ने पहले पन्ने पर हेडिंग दी है, यूएस डेथ नियर 1,00,000 एन इनकैलकुलेबल लॉस। यानी कि अमेरिका में एक लाख मौतें और बेहिसाब क्षति। उसी पेज पर बाई तरफ लिखा गया है कि दे वेअर नॉट सिंपल नेम इन अ लिस्ट, दे वेअर अस (इस सूची में वे सिर्फ नाम नहीं थे बल्कि वे हम थे।) 

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