नया ग्लास माइक्रोस्कोप के साथ थर्मामीटर का भी करेगा काम

एक नम्र ग्लास को विकसित कर उसका ऐसा अपडेट वर्जन तैयार किया है, जिसकी मदद से अब माइक्रोस्कोप के साथ थर्मामीटर का काम भी हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 04 May 2018 11:14 AM (IST) Updated:Fri, 04 May 2018 11:24 AM (IST)
नया ग्लास माइक्रोस्कोप के साथ थर्मामीटर का भी करेगा काम
नया ग्लास माइक्रोस्कोप के साथ थर्मामीटर का भी करेगा काम

न्यूयॉर्क [प्रेट्र]। विज्ञान में हर मशीन का अलग महत्व है। यदि एक मशीन में किसी दूसरी मशीन के काम को भी जोड़ दिया जाए तो इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है। साथ ही कई काम आसान होने के साथ समय भी बचता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है अमेरिकी वैज्ञानिकों ने। उन्होंने एक नम्र ग्लास को विकसित कर उसका ऐसा अपडेट वर्जन तैयार किया है, जिसकी मदद से अब माइक्रोस्कोप के साथ थर्मामीटर का काम भी हो सकता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, ऐसा नई पारदर्शी कोटिंग की वजह से संभव हो पाया है। इससे दुनियाभर के वैज्ञानिकों को मदद मिलेगी और साथ ही शोध के क्षेत्र में भी वृद्धि हो सकेगी। इस उपकरण की मदद से स्कूलों में रसायन और जीव विज्ञान की प्रयोगशाला में प्रयोग करने वाले विद्यार्थियों को भी प्रयोग करने में मदद मिलेगी।

अलग-अलग काम करने वाले कई उपकरण मौजूद

अमेरिका में बफेलो यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर रुगांग झाओ के मुताबिक, हमारे पास ऐसे उपकरण मौजूद हैं, जो अत्यंत सूक्ष्म चीजों को अविश्वसनीय रूप से बड़ा करके दिखा सकते हैं। वहीं, हमारे पास इनफ्रारेड थर्मामीटर जैसे उच्च गुणवत्ता वाले तापमापी भी हैं। इसके बावजूद कोई ऐसा उपकरण नहीं है, जो दोनों काम एक साथ कर सके। यहीं से हमें ऐसा उपकरण तैयार करने का विचार मिला। अब हमने इन दोनों चीजों को एक उपकरण में जोड़ दिया है, जिससे बेहद कम कीमत पर विश्वसनीय आंकड़े प्राप्त किए जा सकते हैं। यह नई कोटिंग के जरिये संभव हो पाया है।

दशकों से प्रयास कर रहे थे वैज्ञानिक

वैज्ञानिक दशकों से थर्मल इमेजिंग और माइक्रोस्कोपी को जोड़ने का प्रयास कर रहे थे। इसके लिए वैज्ञानिकों ने टेराहट्र्ज और इनफ्रारेड थर्मल मैपिंग तकनीक को सूक्ष्मदर्शी के लेंस के साथ जोड़ा था। हालांकि, इससे प्राप्त होने वाली वस्तु की तस्वीर का रेजलूशन बहुत कम होता था। इसके अलावा कुछ अन्य तकनीक थीं, लेकिन वे बहुत ही अधिक महंगी होती थीं। अब नई कोटिंग के जरिये एक्रेलिक ग्लास (वह ग्लास, जिससे चश्मे तैयार किए जाते हैं) से यह काम सस्ते में कर पाना संभव हो सका है। वैज्ञानिक इसे बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं और उनका कहना है कि इसका लाभ दुनियाभर में कई क्षेत्रों में मिल सकेगा।

इन क्षेत्रों पर भी किया जा सकेगा प्रयोग

नेचर कम्यूनिकेशन नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इस खोज का इस्तेमाल कई औद्योगिक क्षेत्रों जैसे कंप्यूटर एंड इलेक्ट्रिॉनिक्स आदि में किया जा सकेगा। वहां आकार के साथ ताप मापने की भी जरूरत पड़ती है। यह दोनों चीजें एक ही मशीन से पता चलने से इन क्षेत्रों को आसानी होगी और कम समय व कम मेहनत में वस्तु की माप और ताप दोनों का पता चल सकेगा। 

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