Spitzer Space Telescope: 16 साल बाद NASA बंद करेगा स्पिट्जर टेलीस्कोप, कई अहम खोज में रहा योगदान
नासा ने कहा कि 16 से अधिक वर्षों तक अंतरिक्ष की खोज में अहम भूमिका निभाने के बाद स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप को गुरुवार 31 जनवरी को बंद कर दिया जाएगा।
वॉशिंगटन, एजंसी। नासा आज अपने सबसे सफल स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप (Spitzer Space Telescope) को बंद कर देगा। 16 से अधिक वर्षों तक अंतरिक्ष की खोज में अहम भूमिका निभाने के बाद, नासा ने कहा कि उसके स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप को गुरुवार 31 जनवरी को बंद कर दिया जाएगा। स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण इन्फ्रारेड डेटा प्रदान करता था।
स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप एक खगोलीय टेलीस्कोप है जो अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह के रूप में स्थित है। यह ब्रह्माण्ड की विभिन्न वस्तुओं की इन्फ्रारेड प्रकाश में जांच करता है। इसे साल 2003 में रॉकेट के जरिये अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था ने अंतरिक्ष में भेजा था।
नासा ने बताया कि स्पिट्जर टेलीस्कोप सूर्य के चारों ओर कक्षा में चक्कर लगाता है। उसने अपने डिजाइनरों की कल्पनाओं से बहुत आगे तक की खोज की है। टेलीस्कोप ने ब्रह्मांड की शुरुआत के हमारे सौर मंडल के बाहर के ग्रहों, जिन्हें एक्सोप्लैनेट और आकाशगंगा कहा जाता है, उनको भी खोज निकाला।
कुल मिलाकर, स्पिट्जर ने अपने 140 करोड़ डॉलर के मिशन के तहत 8 लाख आकाशीय लक्ष्यों का विश्लेशण किया और लगभग 3 लाख 60 हजार से ज्यादा तस्वीरों का अध्यन किया।
नासा के खगोल भौतिकी के निदेशक पॉल हर्ट्ज ने कहा कि अच्छा होगा अगर हमारे सभी टेलीस्कोप हमेशा के लिए संचालित होने में सक्षम होते, लेकिन यह संभव नहीं है। 16 साल से अधिक समय तक, स्पिट्जर ने विज्ञान कार्य में खगोलविदों को अपनी सिमाओं से आगे निकलकर अंतरिक्ष में काम करने का मौका दिया। इसकी सबसे बड़ी खासियत ब्रह्मांड की निगरानी करने के लिए इन्फ्रारेड प्रकाश का इस्तेमाल करना है।
इन्फ्रारेड प्रकाश एक प्रकार का प्रकाश है जिसे हमारी आंखें नहीं देख सकती हैं। इन्फ्रारेड प्रकाश के माध्यम से खगोलविद धूल और गैस के बादलों का अध्ययन कर सकते हैं, और यहां तक कि धूल के बादलों में लिपटे आकाशगंगाओं को भी देख सकते हैं।