हिरोशिमा परमाणु बम से 80 हजार गुना तबाही मचा सकता है क्षुद्रग्रह बेनू

नासा ने चेतावनी दी है कि यदि यह क्षुद्रग्रह धरती से टकराता है तो हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम की तुलना में 80,000 गुना भयावह तबाही मच सकती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 16 Jan 2019 10:44 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jan 2019 10:45 AM (IST)
हिरोशिमा परमाणु बम से 80 हजार गुना तबाही मचा सकता है क्षुद्रग्रह बेनू
हिरोशिमा परमाणु बम से 80 हजार गुना तबाही मचा सकता है क्षुद्रग्रह बेनू

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। धरती की ओर बढ़ रहा क्षुद्रग्रह बेनू की परिक्रमा कर रहे नासा के अंतरिक्ष यान ओएसआइआरआइएसरेक्स ने इस हफ्ते चौंकाने वाली तस्वीरें भेजी हैं, जिसमें क्षुद्रग्रह से पृथ्वी और चंद्रमा किसी बिंदु सरीखे दिख रहे हैं। इसपर नासा ने चेतावनी दी है कि यदि यह क्षुद्रग्रह धरती से टकराता है तो हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम की तुलना में 80,000 गुना भयावह तबाही मच सकती है।

हिरोशिमा मामला
6 अगस्त, 1945 को द्वितीय विश्व के दौरान अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर एक परमाणु बम गिराया था। जिसमें लगभग एक लाख लोग मारे गए। इस परमाणु बम ने विस्फोट के दौरान 16 किलोटन टीएनटी के बराबर ऊर्जा छोड़ी थी।

अंतरिक्ष में तैरता महाबम
बेनू 500 फुट लंबा और 8.7 करोड़ टन वजनी है। यह विशालकाय चट्टान एंपायर स्टेट बिल्डिंग से लंबी है। टाइटेनिक जहाज की तुलना में 1,664 गुना भारी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी के साथ टकराव संभावित रूप से लाखों लोगों के जीवन पर बुरा असर डाल सकता है। हालांकि एजेंसी का कहना है कि इसके धरती से टकराने की आशंका 2700 में से महज एक बार है।

खुलेगा रहस्य
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह क्षुद्रग्रह मानव अस्तित्व की उत्पत्ति के पीछे कुछ रहस्यों को उजागर करने में मदद करेगा।

निपटने की तैयारी
नासा इस क्षुद्रग्रह का खात्मा न्यूक्लियर बम से करने की तैयारी में है। नासा ने हाईपरविलॉसिटी एस्टेरॉयड मिटिगेशन मिशन फॉर इमरजेंसी रिस्पॉन्स (हैमर) नामक स्पेसक्राफ्ट का डिजाइन तैयार किया है जो क्षुद्रग्रह के धरती के करीब आने पर उसे नष्ट करने को न्यूक्लियर हथियार ले जाएगा।

मिशन
नासा का अंतरिक्ष यान ओएसआइआरआइएस-रेक्स वर्तमान में इस क्षुद्रग्रह की जांच कर रहा है। उसके चारों ओर चक्कर लगाते हुए वह धरती पर उसकी तस्वीरें भेज रहा है। 2020 में यह यान इस क्षुद्र ग्रह की सतह पर उतरेगा। वहां से चट्टान के नमूने लेकर धरती पर वापस आएगा।

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