जानिए- पाकिस्‍तान के बदनाम बाजार 'दारा आदमखेल' के बारे में, भारत ने UN में किया जिक्र

India reply to Imran दारा आदमखेल पेशावर के कुछ ही दूरी पर पहाड़ियों से घिरा एक कस्बा है।यह जगह पूरे विश्व में हथियारों की कालाबाजारी के लिए मशहूर है।

By TaniskEdited By: Publish:Sat, 28 Sep 2019 11:51 AM (IST) Updated:Sat, 28 Sep 2019 12:32 PM (IST)
जानिए- पाकिस्‍तान के बदनाम बाजार 'दारा आदमखेल' के बारे में, भारत ने UN में किया जिक्र
जानिए- पाकिस्‍तान के बदनाम बाजार 'दारा आदमखेल' के बारे में, भारत ने UN में किया जिक्र

न्यूयॉर्क, एजेंसी। India reply to Imran: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। भारत की ओर से विदेश मंत्रालय की सचिव विदिशा मैत्रा ने इमरान खान के एक-एक झूठ की कलई खोल कर रख दी। उन्होंने इस दौरान दारा आदमखेल का जिक्र किया। उन्होंने इस दौरान कहा कि इमरान खान एक क्रिकेटर थे और इस जैंटलमैन गेम में विश्वास रखते थे। उनका भाषण असभ्यता के चरम पर पहुंच गया है, जो दारा आदमखेल की बंदूकों की तरह है।

दारा आदमखेल, पेशावर के कुछ ही दूरी पर पहाड़ियों से घिरा एक कस्बा है। दशकों से यहां आपराधिक गतिविधियां हो रही हैं। हालांकि, यह जगह पूरे विश्व में हथियारों की कालाबाजारी के लिए मशहूर है, लेकिन इसे तस्करी, ड्रग्स के धंधे के लिए भी जाना जाता है। यहां दर्जनों हथियार के कारखाने हैं, जहां चीनी पिस्तौल की क्रूड कॉपियों से लेकर अमेरिका की एम 16 ऑटोमैटिक राइफल और क्लाशिनिकोव राइफल तक बनते हैं। इन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार से बेहद ही कम कीमत में बेचा जाता है।

कारोबार को सरकारी संरक्षण प्राप्‍त

बता दें कि दारा आदमखेल में चल रहे इस कारोबार को सरकारी संरक्षण प्राप्‍त है। यही नहीं यहां के लोगों की आजीविका का ये सबसे बड़ा जरिया है और इस कारोबार में बच्‍चों से लेकर बड़े तक सब शामिल हैं। इस पूरे इलाके की अर्थव्‍यवस्‍था केवल इसी कारोबार पर टिकी है। यहां हर तरह के ऑटोमैटिक वैपन को जांचने के लिए यहां पर बाकायदा शूटिंग रेंज भी बनी है, जो यहां पर तैनात फोर्स की देखरेख में रहती है। यहां से आप किसी भी तरह के हथियार को चलाकर देख सकते हैं। यहां पर पाकिस्‍तान सेना की गार्जियन यूनिट का हैडक्‍वार्टर भी है और पाकिस्‍तान सेना इस पूरे इलाके पर अपनी निगाह रखती है।

अवैध हथियारों का खुलेआम व्यापार

यह बाजार 1980 में शुरू हुआ और चर्चा में तब आया जब मुजाहिदीनों ने अफगानिस्तान में सोवियत संघ से लड़ने के लिए यहां से हथियार खरीदना शुरू किया। इसके बाद इस जगह पर पाकिस्तानी तालिबान का कब्जा हो गया और वो इसे चलाने लगा। हालांकि, नवाज शरीफ की सरकार ने इसे लेकर कुछ सख्ती जरूर दिखाई, लेकिन अभी भी यहां अवैध हथियारों का खुलेआम व्यापार जारी है, जो आतंकवाद के बढ़ावे में मदद कर रहा है। यहां पर बने हथियारों पर बाकायदा एक वर्ष की गारंटी दी जाती है और ऑर्डर देने के एक सप्‍ताह के अंदर आप सामान की डिलीवरी भी ले सकते हैं। कहते हैं ओसामा बिन लादेन को यह बाजार बेहद पसंद था। वह यहां से भारी मात्रा में हथियारों की खरीद करता था। 

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