मोटापा बढ़ने का भी कारण बन सकता है लॉकडाउन, नींद और शारीरिक गतिविधियों पर भी पड़ रहा नकारात्मक प्रभाव
इससे पूर्व किए गए एक अन्य शोध में पाया गया था कि लंबे समय तक लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों का बच्चों और किशोरों की मानसिक सेहत पर गहरा असर पड़ सकता है।
वाशिंगटन, एजेंसी। कोरोना वायरस (कोविड-19) की रोकथाम के लिए लगभग पूरी दुनिया में लॉकडाउन जैसे उपाय अपनाए गए हैं। इसके चलते घरों में कैद हुए खासतौर पर मोटापे से पीड़ित बच्चों के खानपान, नींद और शारीरिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पाया गया है। इससे मोटापा और बढ़ने का खतरा हो सकता है। यह दावा नए अध्ययन में किया गया है।
किशोरों की मानसिक सेहत पर पड़ सकता है गहरा असर
इससे पूर्व किए गए एक अन्य शोध में पाया गया था कि लंबे समय तक लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों का बच्चों और किशोरों की मानसिक सेहत पर गहरा असर पड़ सकता है। इन्हें लंबे समय तक डिप्रेशन (अवसाद) और व्यग्रता जैसी मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
41 बच्चों पर किया गया अध्ययन
अमेरिका की बफेलो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, यह निष्कषर्ष ज्यादा वजन वाले 41 बच्चों पर गत मार्च और अप्रैल के दौरान किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। इन बच्चों में खानपान और नींद के साथ ही कंप्यूटर, टेलीविजन और फोन पर व्यतीत किए जाने वाले समय का एक साल पहले दर्ज की गई इनकी आदतों के साथ तुलना की गई। इसमें पाया गया कि बच्चों ने रोजाना अतिरिक्त भोजन का सेवन किया। प्रतिदिन अतिरिक्त आधे घंटे से ज्यादा समय तक सोते रहे। इस अवधि के दौरान इन बच्चों ने कंप्यूटर, टेलीविजन और फोन पर करीब पांच घंटे तक समय व्यतीत किया। यही नहीं इनमें रेड मीट, मीठे पेय पदार्थो और जंक फूड का सेवन भी बढ़ा पाया गया। जबकि दूसरी ओर शारीरिक गतिविधि में कमी पाई गई। हालांकि सब्जियों के सेवन में कोई बदलाव नहीं दिखा। अध्ययन की शोधकर्ता माइल्स फेथ ने कहा, 'मोटापे से जूझ रहे बच्चों और किशोरों के लिए स्वस्थ जीवनशैली को कायम रखने के लिहाज से इस तरह का माहौल प्रतिकूल साबित हो रहा है।'