भारतीय आइटी प्रोफेशनल्स के लिए अच्छी खबर, एच1बी वीजा जारी करने पर लगी रोक हुई खत्म

राष्ट्रपति जो बाइडन ने वीजा प्रतिबंध जारी रहने के पक्ष में किसी प्रकार की अधिसूचना जारी नहीं की। पूर्व में उन्होंने ट्रंप की आव्रजन नीतियों को क्रूर बताते हुए एच1बी वीजा पर प्रतिबंध हटाने का वादा किया था। बता दें कि एच1बी वीजा एक गैर अनिवासी वीजा है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Thu, 01 Apr 2021 03:36 PM (IST) Updated:Thu, 01 Apr 2021 03:36 PM (IST)
भारतीय आइटी प्रोफेशनल्स के लिए अच्छी खबर, एच1बी वीजा जारी करने पर लगी रोक हुई खत्म
प्रतिबंध को लेकर बाइडन सरकार ने नहीं जारी की कोई अधिसूचना

वाशिंगटन, प्रेट्र। एच1बी सहित विदेशी कामगारों के लिए जारी होने वाले वीजा पर लगाई गई रोक खत्म हो गई है। इस कदम से लाखों भारतीय आइटी प्रोफेशनल्स को फायदा होने की उम्मीद है। दरअसल, ट्रंप ने इस तरह के वीजा पर 31 मार्च तक रोक लगाई थी, लेकिन बाइडन सरकार ने इसे आगे बढ़ाने की कोई अधिसूचना जारी नहीं की। इससे पूर्ववर्ती सरकार का आदेश निष्प्रभावी हो गया। लॉकडाउन और कोरोना संकट के बीच ट्रंप ने पिछले वर्ष जून में एच1बी सहित विदेशी कामगारों के लिए जारी होने वाले वीजा पर 31 दिसंबर तक रोक लगा दी थी। ट्रंप ने तर्क दिया था कि अगर विदेशी श्रमिकों को देश में आने की अनुमति दी जाती है तो घरेलू कामगारों को नुकसान होगा। बाद में उन्होंने इसकी समयावधि बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया था।

राष्ट्रपति जो बाइडन ने वीजा प्रतिबंध जारी रहने के पक्ष में किसी प्रकार की अधिसूचना जारी नहीं की। पूर्व में उन्होंने ट्रंप की आव्रजन नीतियों को क्रूर बताते हुए एच1बी वीजा पर प्रतिबंध हटाने का वादा किया था। बता दें कि एच1बी वीजा एक गैर अनिवासी वीजा है। यह किसी कर्मचारी को अमेरिका में छह साल काम करने के लिए जारी किया जाता है। अमेरिका में कार्यरत कंपनियों को यह वीजा ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है जिनकी अमेरिका में कमी हो। इस वीजा के लिए कुछ शर्तें भी हैं। जैसे इसे पाने वाले व्यक्ति को स्नातक होने के साथ किसी एक क्षेत्र में विशेष योग्यता हासिल होनी चाहिए। साथ ही इसे पाने वाले कर्मचारी की सैलरी कम से कम 60 हजार डॉलर यानी करीब 40 लाख रुपये सालाना होना जरूरी है।

इस वीजा की एक खासियत भी है कि यह अन्य देशों के लोगों के लिए अमेरिका में बसने का रास्ता भी आसान करता है। एच-1बी वीजा धारक पांच साल के बाद स्थायी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस वीजा की मांग इतनी ज्यादा है कि इसे हर साल लॉटरी के जरिये जारी किया जाता है। एच1बी वीजा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस और टेक महिंद्रा जैसी 50 से ज्यादा भारतीय आइटी कंपनियों के अलावा माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियां भी करती हैं। भारतीय आइटी प्रोफेशनल्स के बीच एच1बी वीजा काफी प्रचलित है।

chat bot
आपका साथी