पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भारत बना मुद्दा, दोनों दलों की ओर से संबंधों को सुधारने पर दिया जा रहा जोर

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में यह पहला मौका है जब चुनाव प्रचार के शुरुआत से ही भारत एक मुद्दा बना हुआ है। आलम यह है कि रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सत्ता में आने के बाद भारत के साथ रिश्तों को नई उंचाई देने का बयान आए दिन दे रहे हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 06:10 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 06:10 PM (IST)
पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भारत बना मुद्दा, दोनों दलों की ओर से संबंधों को सुधारने पर दिया जा रहा जोर
इतिहास में यह पहला मौका है, जब अमेरिकी चुनाव प्रचार में भारत एक मुद्दा बना हुआ है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में यह पहला मौका है, जब चुनाव प्रचार के शुरुआत से ही भारत एक मुद्दा बना हुआ है। चीन के साथ अमेरिका के तल्ख होते संबंध और और अमेरिकी व्यवस्था के हर क्षेत्र में भारतवंशियों की बढ़ती भूमिका की वजह से स्थिति यह है कि दोनों राजनीतिक दल रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सत्ता में आने के बाद भारत के साथ रिश्तों को नई उंचाई देने का बयान आए दिन दे रहे हैं।

भारत का हितैषी बताने की होड़

आलम यह है कि दोनों प्रत्याशियों की ओर से यह कोशिश हो रही है कि भारत के असली हितैषी वही हैं। यही नहीं दोनों की ओर से भारत के बारे में एक दूसरे की सोच को कटघरे में भी खड़ा किया जा रहा है। इस संदर्भ में डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस बात के लिए आड़े हाथों लिया है कि उन्होंने भारत जैसे मित्र देश की आबोहवा को गंदी (फिल्दी) कहा है।

बिडेन ने ट्रंप को घेरा

बिडेन ने ट्विटर पर लिखा, 'राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को 'गंदा' कहा है, यह अपने दोस्तों के बारे में बात करने का कोई तरीका नहीं है और ना ही यह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को दूर करने का ही कोई तरीका है।' राष्ट्रपति ट्रंप ने दो दिन पहले बिडेन के साथ सार्वजनिक परिचर्चा में भारत को रूस और चीन के साथ रखते हुए इन देशों की हवा को प्रदूषित करार दिया था।

दोनों दलों के अपने अपने दावे और आरोप

इतना ही नहीं बिडेन ने एक लेख में लिखा है कि कमला हैरिस भारत के साथ अमेरिकी साझेदारी को बहुत महत्व देती हैं और वो दोनों मिल कर इस साझेदारी को और भी मजबूती देंगे। बिडेन की तरफ से ट्रंप की टिप्पणी की खुली आलोचना के पीछे जानकार मूल वजह कुछ और बात रहे हैं। रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से लगातार यह कैंपेन चलाया जा रहा है कि किस तरह से बिडेन ने ढाई दशक पहले भारत के साथ रिश्तों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी।

पेशेवर वीजा और चीन का मामला भी गरम

यही नहीं राष्ट्रपति ट्रंप के पुत्र डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने एक साक्षात्कार में कहा है कि बिडेन का रवैया चीन को लेकर नरम रह सकता है, जो भारत के लिए सही नहीं है। इस बीच डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से ट्रंप प्रशासन की पेशेवर वीजा देने संबंधी नीतियों में बदलाव का मुद्दा उठाया गया है कि कैसे यह दूसरे देशों की प्रतिभाओं के दरवाजे अमेरिका के लिए बंद कर देगा और पूरी अमेरिकी इकोनॉमी को घाटा उठाना पड़ेगा।

दोनों दल भारतीयों को लुभाने की कर रहे कोशिशें

यहां कहने की जरूरत नहीं कि पेशेवर वीजा का नारा भी सीधे तौर पर भारत से जुड़ा है क्योंकि ट्रंप की वीजा नीति का सबसे ज्यादा घाटा भारतीय आइटी कंपनियों एवं आइटी पेशेवरों को होगा। अमेरिका साल में जितना एच-1बी वीजा (उच्च शिक्षा प्राप्त पेशवरों को दिया जाने वाला) देता है उसका 70-75 फीसद भारतीयों को मिलता है। साफ है कि दोनों तरफ से भारत से संबंधित मसलों को अपने अपने तरीके से उठाने की पूरी कोशिश हो रही है।

अबकी बार ट्रंप सरकार का नारा भी

वैसे पिछले साल हाउडी मोदी कार्यक्रम में जिस तरह से 'अबकी बार ट्रंप सरकार' का नारा बुलंद किया गया, उससे ही यह साफ हो गया था कि वहां के चुनाव में भारत का महत्व होगा। सत्ताधीन रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से जारी वीडियो प्रचार फिल्म में मोदी और ट्रंप के विजुअल खास तौर पर इस्‍तेमाल किए गए हैं। उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस के पहले भाषण में अपनी तमिल मां, मौसी और इडली का जिक्र को भी जानकार राजनीति से जोड़ कर देख रहे हैं।

बेहद अहम होगी टू-प्लस-टू वार्ता

राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से भारत के साथ रिश्तों को प्रगाढ़ करने की कोशिश अंत तक जारी है। सोमवार (26 अक्टूबर) को अमेरिका के विदेश मंत्री माइकल पोंपियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं, जहां बेहद अहम टू-प्लस-टू वार्ता होने वाली है। भारत के चर्चा में बने रहने की एक बड़ी वजह अमेरिका में वोट देने वाले भारतवंशियों की लगातार बढ़ती संख्या भी है, जो अटलांटिक काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, तकरीबन 40 लाख है। 

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