कोरोना वायरस से जूझ रहे अमेरिका के लिए 9/11 हमले से भी बुरा दौर, जानें कैसे

11 सितंबर 2001 को अलकायदा के आतंकियों ने मिलकर अमेरिका पर सदी का सबसे बड़ा हमला किया था। इस हमले में लगी आग को बुझाने में लगभग 100 दिन का समय लग गया था।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 30 Mar 2020 06:55 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2020 07:32 PM (IST)
कोरोना वायरस से जूझ रहे अमेरिका के लिए 9/11 हमले से भी बुरा दौर, जानें कैसे
कोरोना वायरस से जूझ रहे अमेरिका के लिए 9/11 हमले से भी बुरा दौर, जानें कैसे

नई दिल्‍ली। अमेरिका में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस मामले में अमेरिका ने चीन को भी पीछे कर दिया है जहां से इस जानलेवा वायरस की शुरुआत हुई थी। वर्तमान में इसका असर अमेरिका के शेयर बाजार पर भी साफतौर पर दिखाई दे रहा है। अमेरिका के अलावा दुनिया भर के शेयर बाजार इस जानलेवा वायरस के आने के बाद से लगातार धड़ाम हो रहे हैं। इसकी बदौलत हर देश को आर्थिकतौर पर नुकसान उठाना पड़ रहा है। दुनिया के सभी वित्‍तीय संस्‍थाओं ने दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था में गिरावट के संकेत पहले ही दे दिए हैं। आपको हैरानी होगी लेकिन ये सच है कि अमेरिका को कोरोना वायरस से पार पाना काफी मुश्किल हो रहा है। यही वजह है कि उसके लिए ये दौर 9/11 हमले से भी बुरा है।

गौरतलब है कि 11 सितंबर 2001 को अलकायदा के आतंकियों ने मिलकर अमेरिका पर सदी का सबसे बड़ा हमला किया था। यह हमला कितना बड़ा था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस हमले में लगी आग को बुझाने में लगभग 100 दिन का समय लग गया था। इस हमले में वर्ल्‍ड ट्रेड टावर ध्‍वस्‍त हो गया था और यहां से उठने वाला धूल और धुएं का गुबार अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता था। इस हमले में 90 से ज्यादा देशों के करीब तीन हजार नागरिक मारे गए थे। अलकायदा के 19 आतंकियों ने अलग-अलग गुटों में बंटकर अमेरिका के चार यात्री विमानों का अपहरण कर उन्‍हें अलग-अलग इमारतों से टकराने की योजना बनाई थी।

इनमें से दो विमान वर्ल्‍ड ट्रेड टावर से टकराए गए थे और एक विमान अमेरिकी सेना के मुख्‍यालय पेंटागन से टकराया था। जबकि एक अन्‍य विमान खेतों में जा गिरा था। इस विमान में सवार यात्रियों की बदौलत इस विमान को किसी इमारत से टकराने में आतंकी नाकाम हुए थे। आपको हैरत होगी लेकिन ये भी एक सच्‍चाई है कि यहां पर उठे धूल और धुएं के गुबार से भी कईलोगों की मौत हो गई थी। इस दौरान डस्‍ट लेडी के नाम से मशहूर मर्सी बोर्डर्स का 24 अगस्‍त 2015 को कई तरह की बीमारियों के बाद हो गया था। इस हमले के बाद लोगों में सांस की बीमारी बढ़ गई थी। इस हमले के दौरान जो वर्ल्‍ड टावर ध्‍वस्‍त हुआ था वो 4 अप्रैल 1973 को बनकर तैयार हुए थे, जिनपर 400 मिलियन डॉलर का खर्च आया था।

आपको ये भी बताना जरूरी होगा कि इस हमले की वजह से न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज, अमेरिकी शेयर बाजार और नैसडैक हमले के छह दिन बाद तक बंद रहे थे। इतना ही नहीं डाउ जोन्स में शेयर बाजार खुलने के बाद एक ही दिन में 7 फीसद से अधिक की गिरावट दर्ज की गई थी, जो एक रिकार्ड था। अमेरिका के शेयर बाजार के इतिहास में पूरा सप्‍ताह बल्कि उसके बाद भी लगातार गिरावट का दौर रहा था। इस दौरान अमेरिका को 14 खरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इसके अलावा इस हमले की वजह से हजारों छोटे बड़े कारोबार खत्‍म हुए या उन्‍हें दूसरी जगह पर शिफ्ट करना पड़ा था। इस हमले की वजह से उत्तरी अमेरिका का हवाई क्षेत्र कई दिन तक बंद रहा और जब खुला तो यात्रियों की संख्‍या में 20 फीसद की गिरावट दर्ज की गई थी।

अमेरिका ने उस वक्‍त जो कुछ देखा उससे कहीं अधिक उसको अब सहना पड़ रहा है। वर्तमान में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्‍या अमेरिका में सबसे अधिक है। कुछ राज्‍यों में आशिंक लॉकडाउन तक लागू किया जा चुका है। इसकी बदौलत एक बार फिर अमेरिका में बाहरी उड़ानों की आवाजाही बंद हो चुकी है, जिसकी वजह से विमानन कंपिनयों को जबरदस्‍त नुकसान उठाना पड़ रहा है। अमेरिका को मदद के तौर पर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने लाखों की संख्‍या में मास्‍क और दूसरे इक्‍यूपमेंट्स मुहैया करवाए हैं। विपक्ष वहां पर लगातार लॉकडाउन करने की मांग कर रहा है। लेकिन राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप इसके पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि वो ऐसा करके अर्थव्‍यवस्‍था को खराब नहीं कर सकते हैं। वह हर चीज ठप नहीं कर सकते हैं।

अब तक पूरी दुनिया में इसके 722196 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं इसकी वजह से पूरी दुनिया में 33976 लोगों की मौत हो चुकी है और 151766 मरीज सही भी हुए हैं। इस बीच एक अच्‍छी खबर ये भी है कि इसके केवल 5 फीसद मरीज ही अब तक पूरी दुनिया में गंभीर हालत में हैं। इस वायरस की चपेट मे आ चुके चीन के बाद अब इसके सबसे अधिक मरीज अमेरिका में हैं। यहां पर इसके 142178 मरीज हैं जबकि 2484 की मौत हो चुकी है।

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