अमेरिका पढ़ता रहा भारत समेत तमाम देशों के गोपनीय संदेश, ले रहा था इस स्विस कंपनी की मदद
सीआइए ने एक स्विस कंपनी के जरिये भारत सहित दुनिया के तमाम देशों के गोपनीय संदेशों को दशकों तक पढ़ा।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका की खुफिया संस्था सीआइए ने एक स्विस कंपनी के जरिये भारत सहित दुनिया के तमाम देशों के गोपनीय संदेशों को दशकों तक पढ़ा और अमेरिकी नीति तय करने में सहायता दी। स्विट्जरलैंड की इस कंपनी पर दुनिया को बड़ा भरोसा था लेकिन वास्तव में इस कंपनी में सीआइए की साझेदारी थी। यह जानकारी अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट और जर्मनी की सरकारी संवाद एजेंसी जेडडीएफ में प्रकाशित रिपोर्ट में सामने आई है। भारत सरकार ने इस रिपोर्ट पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
क्रिप्टो एजी नाम की स्विस कंपनी से सन 1951 में सीआइए (सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी) का समझौता हुआ और यह 1970 के बाद तक चला। दोनों समाचार समूहों सीआइए की गोपनीय कार्रवाइयों पर आधारित खोजपूर्ण संयुक्त अभियान चला रहे हैं। इस अभियान में बताया जा रहा है कि किस तरह से अमेरिका और उसके सहयोगी देश दुनिया के देशों से धन लेते थे और उनकी सूचनाओं की चोरी कर उनका फायदा उठाते थे। क्रिप्टो एजी का गठन 1940 में संवाद और सूचनाओं की सुरक्षा के लिए एक स्वतंत्र संस्था के तौर पर हुआ था। लेकिन बाद में इसने अपनी भूमिका बदल ली।
रिपोर्ट के अनुसार कूट भाषा में होने वाले संवाद के लिए उपकरण बनाने वाली क्रिप्टो एजी ने सीआइए से हाथ मिलाकर अपने ग्राहक देशों के साथ विश्वासघात किया। करीब 50 साल तक दुनिया के तमाम देशों की सरकारें अपने जासूसों, सेनाओं और कूटनीतिकों से होने वाले संवाद के लिए क्रिप्टो एजी पर निर्भर थीं और उस पर विश्वास करती थीं। कंपनी के ग्राहकों में लेटिन अमेरिकी देश, भारत, पाकिस्तान, ईरान और वेटिकन भी थे। इन सभी देशों को कभी शक भी नहीं हुआ कि उनके गोपनीय संदेशों को इस तरह से बीच से ही चुराया जा रहा है। उनको यह भी पता नहीं चल सका कि क्रिप्टो एजी का सीआइए के साथ कोई रिश्ता है। यह बात पश्चिमी जर्मनी के खुफिया संगठन और सीआइए के बीच गठजोड़ से पता चली कि क्रिप्टो एजी का इस्तेमाल किया जा रहा था।