पूर्व राष्‍ट्रपति ट्रंप के विपरीत कोरोना टीके पर भारत के प्रस्ताव पर बाइडन प्रशासन का सकारात्मक रुख

कोरोना टीकों की आपूर्ति प्रभावित नहीं हो इसके लिए व्हाइट हाउस भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा डब्ल्यूटीओ में लाए गए प्रस्ताव का समर्थन करने पर विचार कर रहा है। दोनों देशों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से नियमों में राहत मांगी है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 04:09 PM (IST) Updated:Sat, 27 Mar 2021 04:09 PM (IST)
पूर्व राष्‍ट्रपति ट्रंप के विपरीत कोरोना टीके पर भारत के प्रस्ताव पर बाइडन प्रशासन का सकारात्मक रुख
कोरोना टीके पर भारत के प्रस्ताव का बाइडन प्रशासन का सकारात्मक रुख। फाइल फोटो।

वाशिंगटन, एजेंसी। कोरोना टीकों की आपूर्ति प्रभावित नहीं हो, इसके लिए व्हाइट हाउस भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा डब्ल्यूटीओ में लाए गए प्रस्ताव का समर्थन करने पर विचार कर रहा है। दोनों देशों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से नियमों में राहत मांगी है। वे चाहते हैं कि आने वाली कोरोना की दवाइयों के उत्पादन में किसी एक देश का एकाधिकार न हो। भारत ने डब्ल्यूटीओ से कहा है कि विकासशील देशों के लिए कोरोना की दवाओं के निर्माण और उनके आयात को सरल बनाने के लिए बौद्धिक संपदा नियमों में राहत दी जाए। दोनों देशों ने पत्र लिखकर डब्ल्यूटीओ से बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौते के हिस्से में छूट देने का आह्वान किया है।

पूर्व के ट्रंप प्रशासन ने इस प्रस्ताव का किया था विरोध

दरअसल, 60 से अधिक प्रगतिशील सांसदों और गैर लाभकारी फार्मा संगठनों ने दोनों देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए व्हाइट हाउस से अपील की थी। जिसके बाद बाइडन प्रशासन का यह सकारात्मक रुख सामने आया है। पूर्व के ट्रंप प्रशासन ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था। भारतीय दूतावास ने भी इंडिया कॉकस सहित कई सांसदों से संपर्क इस प्रस्ताव का समर्थन करने का अनुरोध किया था। ट्रिप्स नियमों में छूट देने से विभिन्न देशों और टीका बनाने वाली कंपनियों को ना केवल तकनीक के उपयोग की छूट मिल सकेगी बल्कि एक-दूसरे के साथ जानकारी भी साझा कर सकेंगे।

बौद्धिक संपदा अधिकार को निलंबित करने पर US  कर रहा है विचार

सीएनबीसी के मुताबिक व्हाइट हाउस कोरोना टीकों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार को निलंबित करने पर विचार कर रहा है। इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े एक सांसद ने कहा कि इस पर निर्णय लेने के लिए 22 मार्च को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई थी, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका। इस दौरान यह भी कहा गया है कि हम तब तक सुरक्षित नहीं हैं जब तक कि दुनिया सुरक्षित नहीं है।

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