ईरान पर सख्ती बढ़ाएगा अमेरिका, दोबारा बहाल करेगा यूएन प्रतिबंध

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा अमेरिका को यह फैसला इसलिए लेना पड़ा कि ईरान संयुक्त व्यापक कार्य योजना पर अमल करने में विफल रहा।

By Neel RajputEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 08:20 PM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 08:20 PM (IST)
ईरान पर सख्ती बढ़ाएगा अमेरिका, दोबारा बहाल करेगा यूएन प्रतिबंध
ईरान पर सख्ती बढ़ाएगा अमेरिका, दोबारा बहाल करेगा यूएन प्रतिबंध

वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका ने ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को दोबारा बहाल कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के ऐतिहासिक 75वें सत्र के दौरान अमेरिका की इस घोषणा ने बाकी दुनिया का मूड ऑफ कर दिया। वैसे भी, अमेरिका अकेला पड़ गया है। चीन और रूस तो उसके खिलाफ हैं ही, मित्र देश ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी विरोध में खड़े हो गए हैं। ईरानी हसन रुहानी ने कहा है कि इस मामले में अमेरिका मुंह की खाएगा।

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा, 'अमेरिका को यह फैसला इसलिए लेना पड़ा कि ईरान 'संयुक्त व्यापक कार्य योजना' पर अमल करने में विफल रहा। वहीं, सुरक्षा परिषद 13 साल से ईरान पर लागू संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंधों को आगे नहीं बढ़ा पाया।' उन्होंने कहा कि अमेरिका के इस फैसले से दुनिया ज्यादा सुरक्षित होगी। व्हाइट हाउस सोमवार को एक कार्यकारी आदेश जारी कर सकता है। इससे यह पता चलेगा कि प्रतिबंधों को कैसे बहाल किया जाएगा और इसका उल्लंघन करने वालों से कैसे निपटा जाएगा। पोंपियो ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से इसका पालन करने का आग्रह किया है। इससे पहले ईरान के संदर्भ में अमेरिका ने कहा था कि वह आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश को किसी भी तरह के पारंपरिक हथियार खरीदने या बेचने नहीं देगा।

सुरक्षा परिषद के बाकी सदस्य देश अमेरिकी फैसला मानने को तैयार नहीं हैं। इनका कहना है कि 2018 में ईरान परमाणु समझौते से बाहर निकल जाने के बाद अमेरिका ऐसे फैसले लेने का कानूनी आधार गंवा चुका है। ईरानी विदेश मंत्री ने भी यही बात कही। कहा कि अमेरिकी कदम अर्थहीन है, जिसका कोई कानूनी आधार और प्रभाव नहीं है। यह पूरी तरह अस्वीकार्य है।

ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने भी सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा है कि अमेरिकी घोषणा का कोई कानूनी प्रभाव या बाध्यता नहीं है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि प्रक्रियागत अनिश्चितताओं के चलते वह ईरान मामले में कोई कदम नहीं उठा सकते।

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