शिक्षण संस्थान में क्यों लगा है विश्व बांग्ला का लोगो? ममता सरकार से हाई कोर्ट का सवाल

सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने जानना चाहा कि विश्व बांग्ला का लोगो अब भी क्यों है? लोगो को हटाने के लिए राज्य द्वारा क्या भूमिका निभाई गई है? शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक कार्यालय क्यों हैं?

By Jagran NewsEdited By: Publish:Mon, 20 Mar 2023 10:34 PM (IST) Updated:Mon, 20 Mar 2023 10:34 PM (IST)
शिक्षण संस्थान में क्यों लगा है विश्व बांग्ला का लोगो? ममता सरकार से हाई कोर्ट का सवाल
नगर निगम को बताना चाहिए कि कहां और क्या बदलाव हुआ है।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में अभी भी विश्व बांग्ला लोगो क्यों लगा है? दरअसल एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने रवींद्र भारती विश्वविद्यालय तथा जोड़ासांको स्थित रवींद्रनाथ टैगोर के आवास महर्षि भवन में तृणमूल कांग्रेस के पार्टी कार्यालयों को तोड़ने का आदेश दिया था। हालांकि कोर्ट के आदेश से पार्टी कार्यालयों को बंद कर दिया गया है, लेकिन रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में विश्व बांग्ला लोगो अभी भी लगा हुआ है।

शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक कार्यालय क्यों हैं?

सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने जानना चाहा कि विश्व बांग्ला का लोगो अब भी क्यों है? लोगो को हटाने के लिए राज्य द्वारा क्या भूमिका निभाई गई है? शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक कार्यालय क्यों हैं? इस दिन कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के परिसर में तृणमूल के पार्टी कार्यालय और बिस्वा बांग्ला लोगो के उपयोग के संबंध में सख्त आदेश जारी किया।

कोलकाता नगर निगम और विशेष समिति पूरे मामले की जांच करेगी

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि कोलकाता नगर निगम और विशेष समिति पूरे मामले की जांच करेगी। नगर निगम को बताना चाहिए कि कहां और क्या बदलाव हुआ है। यह जांच 27 मार्च से करने का आदेश दिया गया है। खंडपीठ ने यह भी कहा है कि धरोहर संरक्षण समिति जोड़ासांको और बीटी रोड स्थित रवींद्र भारती विश्वविद्यालय परिसर का पुन: दौरा करेगी। यह दौरा 27 मार्च को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सदस्यों के साथ आयोजित किया जाएगा। दोनों परिसरों के लिए अलग रिपोर्ट दी जानी चाहिए। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के निदेशक को भी रिपोर्ट देने को कहा गया है। सभी रिपोर्ट की जांच के बाद इस मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी।

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