बेलियाघाटा हॉस्पिटल से ठीक होकर जाने वाले एक हजार कोरोना मरीजों पर होगा सर्वे

इस दौरान एक हजार से अधिक लोगों पर सर्वेक्षण करने की योजना है। लोगों से फोन पर संपर्क किया जाएगा। बेलियाघाटा आईडी हॉस्पिटल से संक्रमित होकर जो लोग घर लौटे हैं। पिछले डेढ़ साल में बेलियाघाटा आईडी अस्पताल ने गंभीर हालत में 3500 कोविड मरीजों का इलाज किया है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Fri, 16 Jul 2021 09:12 AM (IST) Updated:Fri, 16 Jul 2021 09:12 AM (IST)
बेलियाघाटा हॉस्पिटल से ठीक होकर जाने वाले एक हजार कोरोना मरीजों पर होगा सर्वे
बेलियाघाटा हॉस्पिटल से ठीक होकर जाने वाले एक हजार कोरोना मरीजों पर होगा सर्वे

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पिछले डेढ़ साल में बेलियाघाटा आईडी अस्पताल ने गंभीर हालत में 3,500 कोविड मरीजों का इलाज किया है। इस बार सरकार यह पता लगाएगी कि कोविड से जंग जीतकर अस्पताल से घर लौटे मरीज कैसे हैं। यह सर्वेक्षण टेलीफोन पर किया जाएगा। बेलियाघाटा आईडी हॉस्पिटल के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और भारतीय रासायनिक जीव विज्ञान संस्थान (आईआईसीबी) के बीच एक संयुक्त उद्यम में सर्वेक्षण होगा।

शोधकर्ताओं के मुताबिक पहले तो टेलीफोन पर सर्वे शुरू किया जाएगा, लेकिन बाद में वेब सर्वे भी किया जाएगा। दरअसल देखा जा रहा है कि काफी लोगों को संक्रमण के कारण अस्पताल जाना पड़ा, लेकिन इलाज के बाद घर लौटने के बाद भी वह पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं या नहीं इसकी सही जानकारी मिल सकेगी। कोविड के बाद शारीरिक और मानसिक परेशानी से जूझ रहे मरीजों की संख्या भी कम नहीं है। ऐसे मरीजों को खोजने के लिए इस बार बेलियाघाटा आईडी अस्पताल की ओर से सर्वे होने जा रहा है।

अस्पताल सूत्रों के अनुसार “एक्यूट कोविड से ठीक होने के बाद, क्या उन्हें कोई अन्य समस्या है, सांस की तकलीफ या चलते समय धड़कन, नींद में खलल या चिंता, या उनमें से अन्य समस्याएं हैं? समझने की कोशिश होगी।”

इस दौरान एक हजार से अधिक लोगों पर सर्वेक्षण करने की योजना है। लोगों से फोन पर संपर्क किया जाएगा। बेलियाघाटा आईडी हॉस्पिटल से संक्रमित होकर जो लोग घर लौटे हैं, वे इस सर्वे का विषय हैं। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक अध्ययन का एक पहलू लोगों के सामाजिक जीवन के साथ-साथ बीमारी के बाद ठीक होने पर अन्य प्रभाव की जानकारी लेनी थी। उन्होंने कहा, ‘कई लोग स्वस्थ होकर घर लौटने के बाद कोविड के बाद की समस्याओं के साथ अस्पताल नहीं आते हैं। कई लोग बिना इलाज के घर पर ही हैं। यह सर्वेक्षण यह पता लगाने के लिए है कि वे समग्र रूप से कैसे हैं, यानी उनकी शारीरिक-मानसिक-वित्तीय-सामाजिक स्थिति कैसी है। 

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